गुरुवार, 8 सितंबर 2011
ऐ वतन..... ऐ वतन
राजीव मित्तल
नटी- निगोड़े.. अखबार का पहला पेज कभी देख लिया कर, या उन्हीं छम्मक छलनाओं को ही टुकरता रहेगा अंदर के पन्नों पर....
नट- क्या हुआ, सुबह-सुबह क्यों खोखिया रही है
नटी-अरे देख तो सही..दिल्ली दहल गयी....हाईकोर्ट में बम फटा....ग्यारह लोग मर गए.....अखबार वालों ने कित्ता कुछ छापा है....और तुझको कोई होश नहीं.....
और ये भी देख कितने लोगों की फोटो छपी हैं......
नट- मूर्खा, ये लोग नहीं हैं ....देश की राष्ट्रपति , देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, तेलमंत्री, राशनमंत्री हैं।
नटी-और ऐसे हाल में भी यह मुस्कुरा कौन रहा है......
नट-ये गडकरी हैं....स्थितप्रज्ञों की जमात से हैं.....हर हाल में मुस्कुराते मिलेंगे...
नटी-ये सब कह क्या रहे हैं..
नट-राष्ट्रपति को दुख है....प्रधानमंत्री को कमजोरी.....कुछ कह रहे हैं-यह धमाका नहीं कायरता है... और जो ये दांत पीस रहे हैं इन्हें सारा देश स्वामी के नाम से जानता है.....पिछले तीस सालों से खुद इनको नहीं पता कि ये कहां हैं और क्यों हैं....
नटी-और गृहमंत्री क्या बोले....
नट-वो बम फोड़ने वाले का स्कैच बनवा रहे हैं....
नटी-स्कैच क्या होता है....
नट-जैसे दुर्गा जी का कैलेंडर होता है, स्कैच भी वैसा ही होता है.....कैलेंडर दुर्गा जी को दिमाग में रख कर बनाया जाता है और स्कैच सामने दीवार...दीवार पर मकड़ी....मकड़ी के जाले....मकड़ी पर झपटती छिपकली को देख कर...
नटी-स्कैच बनाने से क्या होगा....
नट-स्कैच को देख कर देश भक्ति ठाठे मारने लगती है...कई बार गृहमंत्री जोश में आ कर स्कैच वाले कागज़ को किसी तखती में चिपका कर घर के पिछवाड़े उस पर निशाने बाजी करते हैं....और लगुए-भगुए तान लगाते हैं...वो मारा-वो मारा....वाह सर जी क्या निशाना है.....
नटी-और जिसका स्कैच बना है, उसको पकड़ लिया जाए तो......
नट-बड़ी अकलमंद है री तू....ससुरा भेजा खाली कर दिया....सुन...जिसका स्कैच बना है, अगर वो पकड़ा गया तो उससे पूछा जाएगा कि तुम्हारा क्या किया जाए....तो वो कहेगा बैंक में मेरे नाम 40 करोड़ जमा कर दो, तब मुकदमा चलाओ मुझ पर...मैं कभी ये कहूंगा-कभी वो कहूंगा...कभी कश्मीर की आज़ादी की बात करूंगा, कभी अफजल गुरु की बात करूंगा....कभी जिहाद की बात करूंगा तो कभी घंटाघर वाले की इमारती की, कभी चांदनी चौक की बात कूरंगा तो कभी लालकिले की....लेकिन तुम दिल पे मत लेना.....और मुकदमे की तारीख पे तारीख लेते रहना.....जब मैं 40 करोड़ फुंकवा कर बोर होने लगूंगा तो अपने आकाओं को हरी झंडी दिखाऊंगा और वो मुझे छुड़ा ले जाएंगे.....बीच-बीच में मुझे अपनी करनी पर रोना आए...तो आंसू पोछने के लिये खादी आश्रम के रुमालों का इंतजाम अभी से कर दो.....
नटी-मैं दो मिनट में कढ़ी के लिये पकोड़ियां उतार कर आयी, तब तक बीड़ी फूंक लो.......
हां अब ये बताओ कि वकीलों ने हड़ताल क्यों कर दी.....
नट-ये देशभक्ति है.....पंद्रह अगस्त और 26 जनवरी के बाद देशभक्ति गोते खाने लगती है। और अब तो इस देश में कई बार वतन की आबरू खतरे में चली जाती है तो सब लोग गाने लगते हैं...सिर कटा सकते है लेकिन सिर झुका सकते नहीं....वकीलों की हड़ताल भी उसी तर्ज पर है....
नटी-अच्छा छोड़ो ये बेसुरा राग...बाहर के मंदिर में लाउडस्पीकर पर कई दिनों से कान फाड़ रहे हैं भोंड़ी आवाजों में...
हे राम....ये क्या...भारत पचासा-पचासा में भी हार गया......बड़े बुरे दिन चल रहे हैं हमरे देश के.....
नटी के ट्रैक बदलते ही नट की नाक ने नक्कारा बजाना शुरू कर दिया ....तभी बाहर लाउडस्पीकर दहाड़ा..जय गणेश जय गणेश देवा..... नटी ने तुरंत हाथ जोड़ लिए .........