सोमवार, 6 जून 2011

अंधेर नगरी चौपट राजा और बाबा रामदेव



राजीव मित्तल

इस देश के सबल लोकतंत्र को राजनीति और जनताऊ वोट बैंक ने इतने सारे प्रहसनों में बदल दिया है कि सालों तक रोज नौटंकी खेली जा सकती है.....और खिल भी रही है इत्तेफाक से.......
शुरुआत एक काल्पनिक प्रहसन से......आजाद भारत
के बिड़ला मंदिर में अनूप जलोटा ..... वैष्णव जन को तेरे कहिये जे.. सुना रहे हैं बाप को। जलोटा जी ने जब पीर शब्द के पी अक्षर को पीपीपीपीपीपीपीईईईईई करते हुए ताना.... तभी अंग्रेजों के ज़माने के किसी आरोप में गिरफ्तार कर लिये गये बापू। भगत सिंह को जंतरमंतर पर इन्क्लाब-जिन्दाबाद के नारे लगाते पुलिस की जीप में ठूंस दिया गया। अमरमणि त्रिपाठी को किसी लड़की का दैहिक शोषण और फिर उसकी हत्या कर लाश को ठिकाने लगाते पकड़ा गया। तीनों गिफ्तारियां एक ही समय पर। बापू और भगत सिंह को तुरंत तिहाड़ पहुंचा दिया गया....लेकिन त्रिपाठी जी को तीन घंटे लगे......रास्ते भर समर्थकों और मीडिया का जमावड़ा....तिहाड़ तक पचास गाड़ियों में सवार समर्थक यही नारा लगा रहे थे....अमरमणि तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं ।

बापू और भगत सिंह और मजिस्ट्रेट को उतनी देर इंतजार करना पड़ा। फूलों से लदे त्रिपाठी के पहुँचते ही तीनों को एक ही सेल में बंद कर दिया गया। त्रिपाठी जी का गला भारत माता की जय बोलते बोलते बैठ गया है....अब चैनल की एक बाला को याद कर कुछ बुदबुदा रहे हैं। बापू..... हे राम....वाली मुद्रा में पड़े हैं, जो 30 जनवरी 1948 को छाती पर गोडसे की गोली लगने के बाद निकले थे। भगत सिंह के मुंह से निकल रहा है गॉड सेव द किंग.... क्योंकि तूने मुझे फांसी पर चढ़ा मेरी लाश के टुकड़े टुकड़े कर दिये।

अब आइये कल्पना से निकल ठोस जमीं पर कदम धर चुके इस प्रहसन पर......सत्ता कई दिनों से परेशान है.....अभी तक तो अन्ना हजारे ही गले में फांस बने हुए हैं.....अब बाबा रामदेव ने म्यान से तलवार निकाल कर विदेशी बैंकों में जमा देश का 400 लाख करोड़ वापस लाने नारा बुलंद कर दिया है.....ऊपर से यह भी कि जिन्होंने देश के साथ खिलवाड़ किया उन्हें फांसी दी जाए.....

सत्ता दबे स्वरों में कह रही है....बाबा...अल्लाह का खौफ खाओ....इतनी जोर से इतना गलत तो मत बोलो...400 सौ नहीं 70 लाख करोड़ ही तो जमा हैं....इतने भर से क्या बिगड़ रहा है तुम्हारा....देश को वापस मिल भी जाएं तो यही तो होगा कि सवा अरब की आबादी में हर एक को 58-58 लाख (10 मिनट की माथपच्ची करने के बाद निकला यह आंकड़ा) .....या देश की सात लाख किलोमीटर सड़क आठ लेन वाली एक्सप्रेस हाईवे बन जाएंगी....या कमाऊ मनरेगा योजना सौ साल तक कामधेनु बनी रहेगी.....इससे तो हमारा देश खतरे में पड़ जाएगा....तब तो हमें नेपाल भी नहीं बख्शेगा, चीन को तो छोड़ो...थोड़ा धीरे चलिये।

उस पैसे को अभी विदेशी बैंकों में ही पड़ा रहने दीजिये.....हम उसके ब्याज की बात की बात कर लेते हैं उन बैंकों से.....यहां आ जाएगा तो ...जलेबी को तरस रही रामदेई उस पैसे का क्या करेगी। उस जैसे तीस करोड़ पागल नहीं हो जाएंगे! लूटमार का बाजार गर्म हो जाएगा। देख नहीं रहे अब हर स्कैम दो-तीन लाख करोड़ से नीचे का नहीं बैठ रहा। सब यूं साफ हो जाएगा कि पता भी नहीं चलेगा। देसी बैंकों में रखा तो उनका पेट खराब हो जाएगा।
बाबा...अब आप खुद को ही देख लो....देखते देखते ग्यारह सौ करोड़ के हो गए.....हमारी सत्ता रही तो अगली पंचवर्षीय योजना में 25 हजार करोड़ के हो जाओगे। बस.. हमारे चुनाव चिन्ह को उत्तानपाद आसन सिखा देना।

सुना है बाबा रामदेव ने 400 करोड़ वाली जिद छोड़ दी लेकिन उनका कहना था कि कानून बनाया जाए और काला धन बाहर ले जाने वालों को फांसी पर चढ़ाया जाए। उनकी इसी बात से हवाइयां उड़ रही हैं सत्ता की। विपक्ष भी निकट खिसक आया है इस मामले में। धीरे बोलो बाबा....कानून क्यों बनाने को कह रहे हो....समिति बना देते हैं....वो सब निकाल लाएगी.....और फिर सबको फांसी पर चढ़ाने की जिद मत करो......उनमें कोई हमारा बाप है..कोई बेटा.... कोई नाती...कोई चाचा...कोई मामा....फूफा तो पता नहीं कितने हैं। और तो और हमारी बीवी...बेटी तक.....समझा करो बाबे ....उनके लिये देशनिकाला काफी है......

बाबा बोले.... अच्छा चलो लिख कर दो कि हम दोनों पक्षों में दस सूत्री समझौता हो गया है और समझौते में ये ये है......नहीं...हम दस में से आठ लिख कर देंगे.....वैसे ही पार्टी में हमारी किरकिरी हो रही है....जो दल हमारा साथ दे रहे हैं....वो क्या समझेंगे....यह कौन सा असन सिखा दिया बाबा ने कि रीढ़ की हड्डी बिल्कुल ही गायब हो गयी.....जबकि राजनीति में हर चीज बिल्कुल ही गायब नहीं की जाती.....

समझौता हो गया......बाबा ने कहा अब मैं अनशन तो नहीं करूंगा....लेकिन सामने बैठी समर्थकों की भीड़ को अनुलोम-विलोम जरूर सिखाऊँगा...

मुंहबोले समझौते के बाद आदत से मजबूर सत्ता ने प्रेस कांफ्रेंस कर डाली कि हम दोनों में समझौता हो गया है....तभी माइक पर आवाज गूंजी......और बाबा ने हमारी बात मान ली है....अब वे अनशन नहीं.. प्राणायाम करेंगे। यह सुन बाबा भड़क गए.....सत्ताधारियों.. तुम्हारा सत्यानाश हो... अब तो मैं तप करूंगा....हिमालय की कंदराओं में नहीं...यहीं रामलीला मैदान पर....कंडेंस्ड तप...यानि दो दिन का.....

उसके बाद क्या हुआ यह हर खास-ओ-आम को मालूम है। बाबा को हरिद्वार उनके आश्रम पहुंचा दिया गया है.....बाकायदा लाद कर ले जाए गए..चेतावनी दे दी है कि चुप नहीं बैठे तो तुम्हारे च्यवनप्राश में मट्ठा मिला दिया जाएगा। चुपचाप बैठ कर भगवा वालों को सिखाओ कुक्कुटासन। हम अन्ना हजारे का सम्मान करते हैं क्योंकि अब वो राष्टपिता जैसे दिखने लगे हैं....झाम भी यही देते रहेंगे उन्हें.....जयहिंद....