शनिवार, 13 नवंबर 2010

घोंघा चुनूं या तुम को!

राजीव मित्तल
विधायक जी, अब तक आपने कितने चापाकल लगवाये? गांव-गांव में जी, पर डिमांड इतनी ज्यादा थी कि कम्पनी सप्लाई नहीं कर पाई। इस समय कितने काम कर रहे हैं? देखिये जी, माल कम मिलने से कहीं बांस गाड़ कर हेड लगवा दिया है, तो कहीं चापाकल। पब्लिक ने एक और मौका दिया तो चापाकल को हेड मिल जाएगा और हेड को चापाकल। जनता के लिये पिछले पांच सालों में आपका कोई जनोपयोगी कार्य? जब मैं विधायक नहीं था तो यह नदी यहां नहीं थी, मेरे विधायक बनते ही नदी इधर से बहने लगी। खेतों को सिंचाई के लिये पानी की अब कोई कमी नहीं है। पीने के पानी के लिये लोगों को भी अब दूर-दराज नहीं जाना पड़ता है बस, घर से बाहर निकलते ही पानी। हर बरसात में तो घर-घर पानी। चाहे जितना पियो, चाहे जितना बहाओ। पर खेत तो अब नदी के उस पार हो गये, वहां जाने के लिये क्या इंतजाम है? हमारे क्षेμा का बच्चा-बच्चा केले खाते हुए उसी के तने के सहारे नदी पार करता है। लेकिन नदी का पाट तो काफी चौड़ा है, कभी कोई हादसा घट जाए तो? यही तो, हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि हमारे यहां जितनी आबादी पांच साल पहले थी, उससे दो-चार कम ही होंगे इस समय।
हम तो राष्ट्र्पति जी को लिखवा भेजे हैं कि बिना सरकारी सहायता के जनसंख्या कंट्रोल के लिये इस 26 जनवरी को हमें कोई मैडल प्रदान किया जाए। कोई सड़क, विद्यालय, चिकित्सा केन्द्र, कोई पक्का भवन वगैरह? पहले सड़क थी, लेकिन हमने खुदवा दी। दुनिया जानती है कि जहां-जहां सड़क गयी, वहां-वहां पाप बढ़ा। हम नहीं चाहते कि हमारे क्षेμा में किसी तरह की अशांति पैदा हो। विद्यालय से आपका तात्पर्य किसी पक्के भवन में छाμाों को पढ़ा रहे मास्टर से है तो उसके लिये हमारा घर है न! पढ़ाता मेरा लड़का है। और चिकित्सा केन्द्र? सब है जी, भांजा जेल से लौट आया है। वही रोगियों को देखता है। आइये, अब अब हम आपको कामकाजी महिलाओं से मिलवाएं। वो देखिये, उस चौर के किनारे वो सब काम में लगी हुई हैं। अरी रमिया, अरी देवतलिया, आज का काम अभी तक खत्म नहीं हुआ? तुम फिर आ धमके, सुबह से अब तक सिर्फ एक के खाने लायक घोंघे मिले हैं, बाकी चार को क्या खिलाऊंगी?
तभी चार-पांच पुलिस वाले वहीं के दो नौजवानों को धकियाते हुए आते दिखायी दिये। उनको घेरे चल रही भीड़ भारत माता की जय के नारे लगा रही थी। गरुड ने छींक मारते काक भुशुण्डि से कहा-महाशय जी, क्या हम इसे आदर्श विधानसभा क्षेμा का दर्जा नहीं दे सकते? सुनते ही काक जी को खांसी आने लगी।

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