शनिवार, 13 नवंबर 2010

बच्चो, अ से अनार नहीं, अपराधी

राजीव मित्तल
क्यों मास्टर जी, अ से तो अब तक अनार ही पढ़ाया जा रहा था। और अनार तो देखने में, खाने में कितना बढ़िया होता है। नहीं मास्टर जी, हम तो अ से अनार ही पढ़ेंगे। मास्टर जी रुंधे गले से बोले-बच्चों, ऊपर से आदेश आया है कि अब अ से अनार नहीं होगा क्योंकि अब अपराधी शब्द खराब लोगों के लिये नहीं है। जैसे ऋ से ऋषि वैसे ही अ से अपराधी, समझे! हां तो बच्चों, अ से?
तभी एक बच्चा खड़ा हुआ और बोला- मैं बतलाऊं मास्टर जी? अ से अपहरण भी होता है और क से कबूतर नहीं कत्ल होता है, ख से खरगोश नहीं खून होता है, आ से आम नहीं आतंक होता है, ब से बकरी नहीं बदमाश होता है, ल से लड़का नहीं लंठई होता है। बस-बस कह मास्टर जी सिर पकड़ कर बैठ गये। काक भुशुण्डि ने बड़े गम्भीर आवाज में गरुड से कहा-देखा वत्स, हिंदी की अक्षरमाला में नये-नये शब्दों का अविष्कार! अभी देखते जाओ। श से शेर नहीं शराब होगा, अ से अनारा भी सामने आएगा और ब से बत्तख नहीं बंदूक निकलेगी इन छोटे-छोटे बच्चों के मुंह से। जब राजनीतिक दल जेबकतरों तक को बुला-बुला कर टिकट थमाने लगेंगे तो यही होगा अब।
महाशय जी, आप बेकार परेशान हो रहे हैं, लालू जी ने कह तो दिया कि उनके दल ने किसी अपराधी को टिकट नहीं दिया। बल्कि पप्पू यादव के लिये तो यहां तक कहा कि उनके जैसे लोग जितनी जल्दी हो साथ छोड़ दें तभी पार्टी का भला होगा। नामाकूल हो तुम, अरे बेअक्ले, लोमड़ी को अंगूर खट्टे कब लगे, जब उसे नहीं मिले न। अभी तो सारी भीड़ लोजपा की तरफ भाग रही है। सुना है पासवान जी ने अपने दो चार सेवकों को सिसली भी भेज रखा है, जहां से माफिया शुरू हुआ था। अगर एकाध हाथ लग गया तो उसे भी टिकट मिल जाएगा। यानी कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा। एक से एक नायाब हीरे तलाशे गए हैं। डोंन भी हैं तो हिस्ट्रीशीटर भी, तो ठेकेदार भी हैं, जो सड़क से लेकर कब्रिस्तान बनवाने का ठेका ठांय-ठायं कर के लेते हैं। उसके बाद सड़क विक्रम का बेताल बन पलों में ही गायब हो जाती है और कब्रिस्तान के मुर्दे खुदकुशी करने पर मजबूर हो जाते हैं। जिनकी पकड़ में ये नहीं आए तो उनके किसी भाई को, किसी भतीजे को, भांजे को या उनके घर की किसी भद्र महिला को ही टिकट थमा दिया।
मतलब नाल तो वहीं गड़ी है न। और जिनको सैंया भी नहीं और कोतवाल भी नहीं, वो माथे पर हाथ रख अपने को चिंघाड़-चिंघाड़ कर सती-सावित्री बता रहे हैं और सुबह शाम हनुमान जी के चरणों में लोट लगा कर बस एक ही वरदान मांग रहे हैं-भगवन, बस एक बार फिर नौ महीने पुराने दिन ला दे, वे सब पके आम की तरह हमारी झोली में टपक पड़ेंगे। तो बेटा गरुड अ से.....तभी पीछे के पेड़ के सुबकने की आवाज आने आयी...बच्चों, अ से अनार ही होता है भूल मत जाना।

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