बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

दंडकारण्य में कुलदेवता

राजीव मित्तल
बंदरों की सभा में नेताजी का भाषण चालू था-मैं आपकी आवाज को राष्ट्र की आवाज बनाऊंगा। बाग-बगीचे उजाड़ने को कानूनी जामा पहनाऊंगा। आप हमारे हनुमान हैं। आप को किसी घर में घुसने की कोई रोक-टोक नहीं होगी। हनुमान का नाम सुनते ही दोनों असुरों को चक्कर आने लगा। इधर, बंदरों में भी हलचल मच गयी। एक ने तो केबल बाला का हाथ ही पकड़ लिया। किसी तरह वे तीनों वहां से भागे और पुष्पक को दौड़ा कर स्टार्ट किया और उड़ लिये। अब उन्हें मतदाताओं की तलाश थी। करीब एक घंटे की उड़ान के बाद उन्हें ढोल-ताशों की आवाज सुनायी दी। इल्वल ने पुष्पक उधर ही मोड़ लिया। नीचे देखा तो कई लोग बरगद के पेड़ के चारों तरफ नाच रहे थे। एक तालाब के किनारे पुष्पक उतारा गया। जैसे ही नीचे उतरे, उन्हें सबने घेर लिया। तुरंत बाला ने कहा-हम आपसे यह जानने आए हैं कि आप अपना कीमती वोट पार्टी के आधार पर देते हैं या काम देख कर। एक बुजुर्ग ने हाथ से इशारा किया कि पीछे आओ। वह उन तीनों को बरगद के पेड़ के पास ले गया और किसी उल्लू की प्रतिमा दिखा कर कहा कि यह हमारे कुलदेवता हंै। हम इन्हीं के सामने अपनी बस्ती के वोट रख देते हैं और रात भर नाचते गाते हैं। सुबह वोटों पर वो ठप्पा मार देते हैं। हमारे कुल देवता के नाखूनों का ताबीज पहनने वाले गनपत राय का चुनाव निशान भी ताबीज ही है। अब तक तीन बार पार्षद, पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं। दो बार से हम उसके बेटे को वोट डाल रहे हैं। गनपत राय ने आपकी भलाई के लिये क्या किया है? भीड़ में सब एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। एक ने पूछ ही लिया-वोट का भलाई से क्या संबंध? उन पर हमारे कुलदेवता की कृपा है। बिजली-पानी का क्या हाल है? देखो बिटिया, हमें बिजली की जरूरत ही नहीं। हम पेड़ों के नीचे रहते हैं, जुगनुओं से काम चल जाता है। सांसद जी के महल के बाहर गेट पर लगे बल्ब की रोशनी तो फ्री में मिलती ही है। और पानी-उनके घोड़े, गाय-बैल और हम ढाई योजन दूर के तालाब पर जाते हैं। आप लोगों की बेहतरी के लिये कोई योजना वगैरह? हां, कभी-कभी मशीन वाली फिल्म दिखा देते हैं, जिसमें अंसल के बनाये मकानों की कतार, बंसल की मिठाई, अरोड़ा की कुल्फी, उपाध्याय के चकाचक कमरों वाले स्कूल और चमचमाती सड़कों के दर्शन हो जाते हैं। उस दिन सांसद जी के नौकर हमसे चिरौंजी जरूर लेते हैं दो-चार टोकरे।

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