बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

शिक्षा और स्वास्थ्य मलाई मार के

राजीव मित्तल
तीसरे चरण के मतदान के बाद चुनाव मेले में ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ गूंज रहा है। आयोजन है असुर भ्राता इल्वल, वापाति और केबल बाला की ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ गोष्ठी का। तम्बू में कई गठबंधनों के नेता विराजमान हैं। केबली ने माइक संभाला-सज्जनों, लोकसभा की 372 सीटों पर वोट पड़ चुके हैं। आप बताएं कि किस गठबंधन के सरकार की सम्भावना है और उस सरकार में किस को कौन सा मंत्रालय मिलना चाहिये। ससरेरे गंठबंधन के सुप्रीमो बोले-देखो जी, आशंका तो सर्वदलीय सरकार की लग रही है। तभी धधनीनी अध्यक्ष उचकीं-मैं तो कई साल से कह रही हूं कि कोई भी सरकार हमारे बगैर नहीं बन सकती। यह सुन कई ने बाहें चढ़ा लीं। केबली ने तुरंत दिमाग लड़ाया- देखिये पीएम के नाम पर पांचवे चरण की वोटिंग के बाद सोचेंगे, अभी बाकी मंत्रालयों पर ठप्पा लगाएं। गृहमंत्रालय किसको चाहिये बताएं। ममपप वाले कुहके-ना जी, इसमें अब वो बात न रही। कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने के चांसेस भी बहुत वीक पड़ते जा रहे हैं। सिरदर्दी ससुरी बहुत है। रक्षा? अजी छोड़िये-बोफर्स ने सारे कसबल निकाल रखे हैं। मुफ्त हुए बदनाम वाला मंत्रालय है। सेल्यूट लेने-देने में ही पांच साल निकल जाते हैं। और विदेश? गमरे गठबंधन वाले उठे-हमें अपनी विदेश नीति और लचीला बनाने की जरूरत है, इसके लिये कुमारी तिलोत्तमा ही ठीक रहेंगी। वित्तमंत्रालय के बारे में क्या ख्याल है? झाझाएम वाले ने तुरंत कहा- हवन में हाथ जलाने वाला मंत्रालय है जी। कर लगाओ तो लाला भुजबल प्रसाद का परिवार दुखी, ना लगाओ तो वल्र्ड बैंक नाराज। रेलवे किसे चाहिये? उसी मेनेजमेंट गुरु को पकड़ा दीजिये-बहुत हावर्ड हावर्ड करता है। सूचना के बारे में क्या ख्याल है? वो गेरुओं की पुरानी पसंद है। अच्छा, शिक्षा और स्वास्थ्य? एक दम से सब कुर्सियों के हत्थे पर बैठ चिल्लाये-सबसे पहले तो शिक्षा पर से मुए मानव संसाधन का तमगा हटवाइये। फिर इन दोनों को मिला कर वीर-जारा की तर्ज पर अखिल भारतीय एजु-हील मंत्रालय का नाम दिया जाए और सुरक्षा व विदेश मंत्रालय की तरह इस को भी केन्द्र अपने ही पास रखे। धीधीथा के अध्यक्ष बगल वाले के कान में फुसफुसाए-इस मंत्रालय को हम-तुम मिल कर संभालें। मैंने दंडकारण्य में ही आठ मेडिकल कॉलेज, 25 एमबीए इंस्टीट्यूट, 16 पत्रकारिता संस्थान खोलने के लिये जगह देख ली है। कई के नाम भी सोच लिये है-पौलत्स्य एमबीए, चिराध कम्यूनिकेशन, मारीच फैकल्टी वगैरह। 28 नर्सिंगहोम भी इसी तर्ज पर होंगे। इत्ते सारे का क्या करेगा फत्तू? बेवकूफ मलाई मार के मलाई का भगौना हंै एक कमरे वाले विश्वविद्यालय।

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