बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

नजर लागी राज्जा तोरे वोटवा पर

राजीव मित्तल
इल्वल और वातापि ने विदा होते समय जैसे ही उल्लू की प्रतिमा के आगे फूल चढ़ाये, सांसद के महल में बजने लगा-जो मैं होती राज्जा, बन की कोयलिया-केबल बाला चौंकी -यह तो घोषणापत्र जैसा लागे है, जल्दी चलो, आज तो मेले में धमाचौकड़ी मची होगी। केबल बाला के साथ दोनों असुर पुष्पक में सवार हो उड़ लिये। मेले के ठीक ऊपर पहुंच उन्होंने काफी बड़ा मजमा देखा। सभी दलों के तम्बुओं के बाहर स्टॉल पर मदारी डमरू बजा रहे थे। कहीं बंदर-बंदरिया नाच रहे थे, तो कहीं बार बालाएं ठुमक रही थीं। असुरों ने केबल वाली से पूछा-यह नाच-गाना क्यों हो रहा है? बाला समझाने के अंदाज में बोली-सभी दल चुनावी घोषणापत्र बांचने जा रहे हैं, उससे पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे हैं। घोषणापत्र क्या बला है केबली? यह एक किस्म का टैग है असुरों, जो लंगूरछाप साबुन, रंग गोरा करने वाले लोशन, बाल काले करने वाले तेल की डिब्बियों-शीशियों, पिज्जा पार्लरों,राशन की दुकानों, गरीबों के अनाज और बीपीेएल कार्ड पर लगा दिया जाता है। इस माल को घोषणापत्र में सरका के लुभावने सपने बांचे जाते हैं। देखो, माया बुआ हाथी पर अपनी प्रतिमाओं के साथ कैसी लहक रही हैं। कह रही हैं कि जहां-जहां इन्हें लगाया जाएगा, गरीबी दूर होती जाएगी। पीछे-पीछे ढोल बजाते तीसरा मोर्चा वाले गा रहे हैं-तुम्हारे हैं तुमसे दया मांगते हैं। उनके साथ चल रहे कम्यूनिस्ट-हम होंगे कामयाब की धुन बजा रहे हैं। गोरी ताई अपनी हथेली पर सरसों उगा रही हैं। कमल के फूल पर विराजमान साईं हाथ में तोते को बैठाये उसे निर्देश दे रहे हैं-देख मुझे रोज मंदिर बनाने की याद दिला दिया कर, आखिर पीएम वेटिंग हूं। मुलायम साइकिल पर आगे अमर सिंह और पीछे कल्याण सिंह को बैठाए बागों में बहार है कलियों पे निखार है- गा रहे हैं। पीछे-पीछे लालू लालटेन लिये दौड़ते हुए कह रहे हैं-यहीं रुक जाओ, चौथे मोर्चे के तीसरे पायदान पासवान की झोपड़ी यहीं है, वो देखो बाहर खड़ा आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा-अलाप रहा है। उधर, बारबालाएं कौन सा अंग देखोगे वाले अंदाज में आ चुकी हैं। अरी केबली, यह खेल तो त्रेता युग में भी चलता था। राजा इन्दर अक्सर अपनी अप्सराओं की बुकिंग धरती के लिये कराया करते थे ताकि वो तपस्या में लीन ऋषि को रिझा कर स्वर्ग की सत्ता बचाएं। सूपर्नखा ने भी श्रीराम को रिझाने की कोशिश की थी, लेकिन उनके भ्राता लक्ष्मण ने नाक कान काट कर उसे भगा दिया था। इस देश के वोटर भी इन रिझाऊ नेताओं के साथ ऐसा क्यों नहीं करते? मूरख, भारत में अब वोटतंत्र है।

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