गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

सेक्टर 7 में काबुलीवाला

बहुत मायूसी में दिन गुज़र रहे थे इस बियाबान सेक्टर में..सब कुछ अनजान..रास्ते भी, लोग भी, मकान भी, मोड़ भी, चेहरे भी..और कल की घटना तो अब तक टोहके मार रही थी..

तीन बजे 26 सेक्टर के लिए उस उदास सड़क पर उससे भी ज़्यादा उदासी से कदम बढ़ा रहा था कि एक कार धड़ाक से बगल में रुकी..ओये चील कित्थे है..आवाज़ मारू, तो कार में फंसे सरदार जी का अंदाज़ जानमारू..दिल में बगोले उठ रहे..बरसात की गर्मी में भी बहुत कम पसीने वाला शरीर जैसे नहा उठा..
ओ भाई बोलता क्यों नहीं.. कित्थे है चील..अब मैं क्या बताऊँ कि चील कित्थे है..नीले आकाश पे कुछ उड़ता नज़र आया तो जान में जान आई..ओ जी वो रही..ओ खोत्ते वो नहीं..चील भई चील..

अचानक मंटो का आगा हश्र कश्मीरी के बारे में लिखा याद आ गया..कि उनके नाटक की रिहर्सल में हीरोइन को एक शब्द बोलना नहीं आ रहा था तो गालियों की बौछार करते हुए आगा ने उसी शब्द के आकार का दूसरा शब्द जैसे ही मुहँ से निकाला, मोहतरमा तोते की तरह बोलने लगीं..अपन ने भी चील से मिलता जुलता शब्द याद करने की कोशिश की तो याद आया ..अबे चुगद सेक्टर 7 सुखना लेक से लगा हुआ है..और लेक की हिंदी होती है झील..सरदार जी आप झील का रास्ता पूछ रहे हो क्या..हां भई हां..चील चील चील..तो जी आप ऐसे जा के वैसे निकल जाओ..

कहां 20 सेक्टर की रौनक वाली जगह कहाँ ये खौफनाक इलाका..आफिस तक बस भी सीधे नहीं जाती..26 की मंडी तक पैदल.. वहां से इंडस्ट्रियल एरिया से बस पकड़ना..रात दो बजे तो आफिस का वाहन होता, लेकिन सारी तकलीफ जाने की...उस छह किलोमीटर के रास्ते पर कई बार पैदली भी हुआ..

अगस्त आते आते स्कूटर का विचार दौड़ने लगा..और वैसे भी चंडीगढ़ पसंद ही लड़कियों को बाइक चलाते देख कर आया था..तो साब, यहाँ वहां स्कूटर की चर्चा शुरू..एक ऑफ डे वाली शाम गेट के पास खड़ा आकाश को निहार रहा था तो देखा श्रीमती पूर्णिमा देवी किसी के साथ चली आ रही हैं...पंजाबन !..नहीं .. बोली तो हरियाणवीं.. ये ये हैं और ये वो हैं वाला सवा मिनट का परिचय..

हमारी कंपनी इंडियन एक्सप्रेस ने ईश्वर की सुनी और हमें किस्तों पर LML वेस्पा दिलवा दिया..अब चंडीगढ़ की सड़क पर सौ से कम की स्पीड में स्कूटर चलाया तो डूब मरना चाहिये न सुखना लेक में..तो कई बार आफिस की गाड़ी से रात दो बजे लौट कर स्कूटर उठाता और 50 किलोमीटर धुँआधार दौड़ाता..

कुछ दिन बाद पता चला कि उस रात मिली महिला हरियाणा की ही है और सेंट्रल स्कूल में पढ़ाती है..पति सरकारी हेल्थ इंस्ट्रक्टर.. चार साल का बेटा.. एक और के जन्म की तैयारी...
खास बात कि अब मिसेज मित्तल की सहेली..

तीन महीने की जच्चा छुट्टियों में एक बच्ची को जन्म.. छुट्टियां खत्म हुईं तो बच्ची के पालन के लिए बच्चाघर की तलाश.. साथ में होती पूर्णिमा...एक बच्चाघर के पालने में उसे डाल जैसे ही दोनों सहेलियां भरे मन से बाहर निकल रहीं कि दो महीने की बच्ची ने चिंघाड़ना शुरू कर दिया..मां पर तो जो भी बीत रही हो, पूर्णिमा ने दौड़ लगाई और लपक कर बच्ची को छाती से चिपटा लिया और वहीं का वहीं ऐतिहासिक फैसला सुना दिया.. इंदु..इस बच्ची को मैं पालूंगी.. 

11/15/17