बुधवार, 1 अप्रैल 2020

ब्राह्मण -- मैं जन्म से श्रेष्ठ हूँ..
बुद्ध --  कैसे
ब्राह्मण -- क्योंकि मैं ब्राह्मण हूँ..

बुद्ध -- ठीक है, अच्छा एक बात बताइए, आपके घर की महिलाए गर्भवती होती हैं

ब्राह्मण -- हां होती हैं..

बुद्ध -- वैसे ही होती हैं जैसे अन्य महिलाएं .....या फिर ....?

ब्राह्मण -- हां वैसे ही होती हैं..

बुद्ध -- आपकी महिलाओं की गर्भावस्था उतने ही समय की होती है जितने समय की अन्य महिलाओं की होती है ?

ब्राह्मण -- हां उतने ही समय की होती है..

बुद्ध -- बच्चा पैदा वैसे ही होता है जैसे अन्य महिलाओं के?

ब्राह्मण -- हां बिल्कुल वैसे ही..

बुद्ध -- जब गर्भवती होने का तरीका, गर्भावस्था का समय और प्रसूति का भी तरीका ....ये सभी प्रक्रियाएं एक ही समान हैं तो आप किस आधार पर कहते हैं कि हम ब्राह्मण पैदा होते ही अर्थात जन्म से ही श्रेष्ठ हैं......

बुद्ध के इस प्रश्न का उत्तर ब्राह्मण के पास नहीं था .....

बुद्ध --  मतलब यह है कि मानव अपने कर्म से श्रेष्ठ है अपने कर्म से ही महान है ना कि जन्म से .....

अर्थात ब्राह्मण का राज उनके ज्ञान पर नहीं तुम्हारे अज्ञान पर टिका है।
ब्राह्मण तुमसे पेड़ पुजवा सकता है,
पत्थर पुजवा सकता है, धरती, आकाश, जल, अग्नि, वायु, देहरी (चौखट), तस्वीर, लोहा, ईंट, पशु, पक्षी या जो कुछ भी उसे दिखाई दिया, उसने तुमसे खुले आम पुजवा दिया।

और ये सब एक अनपढ़ ब्राह्मण ने हमारे समाज के पढ़े लिखे IAS, IPS, वक़ील, मजिस्ट्रेट, इंजीनियर, डॉक्टर से करवाता है।
 
फिर आप कैसे कहते हैं के आप ब्राह्मण के ग़ुलाम नही हैं??
                                                        ब्राह्मणों की कहानी 

जब भूकम्प आने वाला हो तो उनको पता नहीं होता ,

जब हुदहुद तूफान आने वाला हो तो पता नहीं होता

जब ट्रेन पलटने वाली या लड़ने  वाली हो तो पता नहीं होता,

जब नोट बदलने वाला हो तो पता नहीं होता,

जब अपने देश पर हमला होने वाला हो तो पता नहीं होता,

जब देश मे बंम बिस्फोट होने वाला हो तो पता नहीं होता

जब केदार नाथ बाढ़ मे बह जाने वाला हो तो पता नहीं होता,

जब भारत की राजधानी में किसी बस में लड़की का रेप होने वाला हो तो पता नहीं होता ,

जब देश मे आतंकवादी घूम रहे होते तो पता नहीं होता,

जब सीमा के सैनिकों का गला कटने वाला हो तो पता नही होता,

जब चारो धाम जाते समय यात्री बस खाई मे गिरने वाला हो तो पता नहीं होता,

जब कोई प्लेन लुप्त होने वाली हो तो पता नहीं होता,

जब बारिस होने पर बिजली कड़कने वाली हो और किसी के ऊपर बिजली गिरने वाली हो तो इन्हें पता नहीं होता।

इनको केवल वह पता होता जो सम्भव नहीं।

जैसे 
किसी पर ग्रह नक्षत्र

-दोष ,पिछले जन्म का पाप,

मरने के बाद स्वर्ग दिलाना,

मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठत करना ( जान डालना ) 

माता-पिता को मरने के बाद बैठाना,

 बच्चे को सत्तईसा में पड़ना 

साढ़े साती, शनि, ढैय्या चढ़ना और उतारना 
 
धरती के अन्दर पानी देखना 

आदि सभी अन्ध विश्वास 
मनगढंत बातें।

जिनको पिछले जन्म की 
और स्वर्ग की जानकारी हो; वे ये सब क्यों नहीं जानते ?

ब्राह्मण मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठित कर सकता है 

लेकिन अपने मरे हुये बच्चे 5 मिनट के लिए जीवित नही कर सकता 

इसलिए नहीं जानते क्योंकि ये सब देखे जा सकते हैं,
हक़ीकत जाना जा सकता है।

पाखण्ड और अन्धविश्वास मे न पड़ कर अपना दीपक स्वयं बने । *आत्म दीपो भव*

4/6/18