गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

ऑपरेशन टेबल पर...

इतनी ठंडी सुबह कि क्या बताऊँ.. जबलपुर का 19 दिसंबर..डॉक्टर पाठक ने ऑपरेशन की तैयारी का मुआयना किया..और किसी दूसरे डॉक्टर ने सर्दी से दांत किटकिटा रहे इस इंसान की रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया..घबराहट के चलते यह भी ध्यान नहीं कि OT गर्म था या नहीं..

कानों में कुछ फुसफुसाहट, औजारों की खनक और हर्निया वाली जगह पर नश्तर का महसूस होना..बस इसके बाद इतनी गहरी और मीठी नींद कि आज दस साल बाद भी उसकी मिठास आंखों में तैरती दिखती है...

बीस साल पहले 21 सेक्टर के खूबसूरत बंगले के पीछे बने आउट हाउस में चंडीगढ़ की पहली बरसातों में रात के दो बजे पथरी के दर्द ने इतना ज़ोरदार हमला बोला था कि उसको झेलने के सारे उपाय कर डाले, पर अगले तीन घंटे चीत्कार करते बीते..उस रात साथ में जनसत्ता के दो ही साथी है..एक तो वही था, जिसने पनाह दी हुई थी, और दूसरा मेरी तरह, वहां डेरा डाले था..उस दर्द में क्या राहत दे पाते भूपेंद्र और हरजिंदर..

पौ फटते ही दोनों ने मेरा एक एक कंधा थामा और अपन ने दांत भींच कर आधा किलोमीटर की दौड़ लगाई..ट्रिब्यून वाले रमेश नैय्यर के घर की सीढ़ियां किसी तरह चढ़ीं और दरवाजा तब तक पीटा जब तक वो खुल नहीं गया..और फिर उनके सोफे पर गिर कर  मेरा दर्द पूरे जोम से चिल्लाया..वो तुरंत नीचे उस फ्लैट में ले गए, जहां डॉक्टर राणा नशे में टुन्न पड़े रहे होंगे..लेकिन उन्होंने थाप पड़ते ही दरवाज़ा खोल दिया..उनके सोफे पर ढेर होते ही मैंने चीत्कार मचानी शुरू कर दी..राणा ने एक छोटी सी शीशी अलमारी से निकाली और उसमें से दो बून्द मुहँ खुलवा कर जीभ पर टपका दीं.. उस दिन देखा होम्योपैथी का चमत्कार..दो सेकेण्ड में चार घण्टे से कहर ढा रहा मेरा दर्द गायब था और में नींद में..दो घंटे बाद उठा तो डॉक्टर राणा ने पथरी के साथ साथ हर्निया के पलने करने का एलान कर दिया..



पथरी के क्रिस्टल तो होम्योपैथी की कुछ खुराकों से खून बहाते हुए पेशाब के रास्ते निकल जाते लेकिन हार्निया को अपन ने गले से लगा लिया..और वो खूब घुमा मेरे साथ

12/19/17