तेंतीस करोड़ के अलावा इन्हें भी झेलो
सात लाख रुपये दीजिये तो राधे माँ आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देंगी और पन्द्रह लाख रुपये दीजिये तो आप राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं...वो देवी हैं मूर्ख हिंदुओं की।
निर्मल बाबा लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे कर रात दिन पुज रहा है।
रामपाल कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं और अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर उन्हें कृतार्थ करता है..
ब्रह्मकुमारीमत वाले दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरूप बताते हैं... इस कुल्हड़ ने भगवद गीता भी फेल कर दी...
राधास्वामी वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं...
कुछ चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा को भगवान बनाने पर तुले हैं..
आसाराम के भक्त तो और भी महान हैं..सब पोल खुल जाने पर भी सड़को पर भक्त बनकर आसाराम को ईश्वर मान रात दिन उसके गुण गाते है।
*कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है*
जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया।
बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है "
अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं....
दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो ".
लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे..
अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं.....
लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं..
अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....
जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "
पर जब बाबा जी बीमार होते हैं,
तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं.
अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.
तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती...
*अतः जागृत बनें, तार्किक बनें
*❗अक्ल के अंधे नहीं❗
5/13/18