बुधवार, 1 अप्रैल 2020

माटी कहे कुम्हार से तू क्या....


जबलपुर में रहते तीन दिन ही हुए थे कि इंदौर से बुलौवा ..विनीत सेठिया ने 200 लोगों का पंचनामा सौंपा...इंदौर के उस होटल में रात भर तेज बारिश की आवाज़ दिल को कंपकपा रही..

सुबह टैक्सी से भोपाल निकल कुछ घंटे पंकज जी के यहाँ गुजार रात में ट्रेन से जबलपुर निकलने के इरादे पे पानी फिरता नज़र आ रहा...लेकिन टैक्सी वाले से पता चला कि रास्ते की एक नदी में बाढ़ आई हुई है..तो दोबारा होटल में धंस लिया और शाम को इंदौर से ही सोनी के साथ लटक लिया जबलपुर को..

इस बार जबलपुर पहुंचते ही घर भरने लगा..दमोह, कटनी, सिवनी, बालाघाट, मंडला और नरसिंहपुर जा कर भर्तियां कीं..अनूपपुर, डिंडोरी, छिंदवाड़ा और उमरिया वालों को जबलपुर  बुला लिया..सतना,रीवां और सीधी कुछ महीने बाद जाना था..

नरसिंहपुर में विधानसभाध्यक्ष रोहाणी ने अपने किसी सिंधी भाई को जीएम को पटा कर पहले ही ब्यूरोचीफ बनवा दिया था..उसे हटवाने में विनीत सेठिया की मदद ली..बाद में खूब हंगामा मचा..पांच सांसदों और कई मंत्रियों ने पत्र लिख कर या फोन कर धमकियाँ दे डालीं..

इधर गेस्ट हाउस में भास्कर से आया संतोष सोलंकी तीन पैग लगा कर भास्कर के मालिकों की जमकर उतारता.. दुर्गाप्रसाद से लेकर पूरे अग्रवाल खानदान का चिट्ठा उसकी ज़ुबान से झरझराता.पूरी रात उसका हंगामा..

शरुआत करता दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की आवाज़ में चिल्ला कर...अबे रमेश कहाँ मर गया..उसके बाद सुधीर अग्रवाल की क्लास लगाता..

डेढ़ महीने में सब की भर्ती हो ली.. ब्यूरो भी तकरीबन सब तैयार..बचा शहडोल तो वहां मैं और सोलंकी.....मालिक की क्वालिस से पहुंच गए..देर रात उस पहाड़ी इलाके में बारिश शरू..ठहरने का इंतज़ाम सरकारी रेस्टहाउस में..जाते ही सोलंकी की बोतल खुल गयी..खाना खा कर सोने जा रहा तो महाराज को घूमने की सूझी..अपन तो पैदायशी निशाचर.. उसने गाड़ी स्टार्ट की और डेढ़ सौ की स्पीड से बारिश से भीगी सड़क पर दौड़ा दी....

मौत को इतने करीब देख अपन ने कबीर का दोहा..माटी कहे कुम्हार से..का आलाप शुरू कर दिया...तब तक पुलिया को तोड़ क्वालिस खाई की ओर..यहाँ माटी कहे कुम्हार से..उधर सोलंकी और पीछे बैठे अजय की चिक चिक बूम बूम..तीनों की आवाज़ें फुल वॉल्यूम पर...तभी गाड़ी किसी चट्टान से टकरा कर रुक गयी..इंजन धुंआ छोड़ रहा..झटका इतना तेज़ कि सिर विंडस्क्रीन से भड़ाक से टकराया..कलाई पे बँधी घड़ी छिटक कर खाई में..चार कैसेट भी खाई में..

किसी तरह बाहर निकल ज़मीन टटोल कर पैर टिकाये..होश आया तो बाल बाल बचने के पूरे आसार ...सितम यह कि गाड़ी एक बार में स्टार्ट हो सड़क पर और फिर रेस्ट हाउस ..वहां लाइट में देखा कि इंजन का भुरकस निकल चुका था..अगले दिन क्वालिस ट्रॉलर पर और अपन टुटही सरकारी बस पर....

4/20/18