गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

दो...सम्पादक....सम्पादक

लखनऊ सूचना विभाग पर सरकारीपन हावी होते ही मन कसमसाने लगा..श्रीलाल शुक्ल किसी और मंत्रालय भेज दिये गए.. गढ़वाल उपचुनाव की हार विश्वनाथ प्रताप की मुख्यमंत्री  की कुर्सी लील गयी..तो ठाकुर प्रसाद सिंह भी निदेशक पद से हटा दिये गए...इन बदलावों ने सूचना विभाग का उनमुक्त गैरसरकारी माहौल ख़ाक में मिला दिया....

सितम्बर 82 के आखिरी दिनों में दिल्ली का रास्ता पकड़ बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग पर टाइम्स ग्रुप की इमारत में प्रवेश..जेब में नवभारत टाइम्स के सम्पादक के नाम रुक्का..कि इसे परख लो...कार्यकारी सम्पादक रामपाल सिंह ने परखा और अपने केबिन के बाहर बिछी एक विशाल मेज के किनार बैठे सज्जन को सौंप कर बोले..पंत जी..इन्हें परखो..पंत जी ने गैस सरकाते हुए बुरा सा मुंह बनाया..बोले..ये परखने वाला काम हम से न होगा...हमें गोद में उठाए रामपाल जी को जैन साहब नज़र आए..समाचार सम्पादक..

जैन जी आप ही इस बालक को परखो..और उनके कान में कुछ ऐसा पोंका कि जैन साहब ने उनकी गोद से फौरन लपक लिया हमें..और एक कुरसी पर प्यार से बिठा दिया...फिर चाय बिस्कुट..

कुछ देर बाद आए..बोले..काम तो होता रहेगा..थोड़ा घूम फिर लो..नज़र मारी तो देखा विशालतम हॉल...छोर नज़र नहीं आ रहा था..टाइम्स ऑफ इंडिया सम्पादकीय के पास विशाल एरिया...सिमटा सा नवभारत टाइम्स...और एक कनारे सांध्य टाइम्स का खोखा..

जारी.......
2/9/18