वरों में शिव ही सबसे उत्तम क्यों माने जाते हैं....
हिमालय पर शून्य से कई गुना नीचे के तापमान में भी शिव जी का केवल लंगोट पर गुजारा..यानि कि कपड़े धोने..उन्हें सुखाने..फिर प्रेस भी करने का कोई लफड़ा नहीं...
माथे पर चांद विद्यमान है तो लाइट ही लाइट...बिजली रहे या न रहे..चिंता नहीं...
जटाओं मे गंगाजी विराजती हैं इसलिये अकाल में भी पानी ही पानी..पम्प ख़राब हो जाए तो चिन्ता नहीं..
कंद मूल..धतूरा इत्यादि का सेवन कर ही प्रसन्न रहने
वाले शिव जी के लिये सुबह का नाश्ता..दोपहर का भोजन..शाम की चाय..और रात के डिनर के तामझाम की कोई ज़रूरत नहीं..
सास-ननद की कोई टंटेबाजी नहीं..ससुर के लिये चिलम भरने से भी छुट्टी..
आकाश के तले रहना..बर्फ पर ही शेर की खाल बिछा कर गुजारा..झाडू पोछे की कोई चिंता नहीं...सो काम वाली की झायं झायं से मुक्ति..
और सबसे बड़ी बात...शिव जी ने दहेज में एक पैसा नहीं लिया....
2/7/18