गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

सम्पादक----सम्पादक 

कई बार इच्छा होती है अपने सम्पादकों के बारे में लिखने की...खास कर तब.. जब आपके सम्पादक राजेंद्र माथुर और मृणाल पांडे और प्रभाष जोशी रहे हों..तब तो लिखना बनता ही है न..और दो सम्पादक वो..जो यार न भी रहे हों तो बेयार भी नहीं थे..बाकी सात आठ सम्पादक ऐसे रहे..कि जो अपन पर सम्पादकी करने को तरसते रहे...तो कभी उन पर मेहरबान रहता तो  कभी आईना पकड़ा देता..कि अपनी सूरत तो देख लो भाई..इन सबसे अपनी एक ही विनती होती कि सम्पादक आप इसलिये बने कि आपका बुध मज़बूत था..लेकिन बाकी ग्रह इतने अनुकूल नहीं कि मुझ पर अपना रौब गालिब कर सको..तो जो समझे वे थोड़ा बहुत सुखी रहे..और जो सच्चाई को कु़बूल नहीं कर पाए..वो अपने रक्तचाप से दो चार होते रहे...

जारी.......
2/8/18