मेरी दिल की राहों से निकल कब फूल खिल गए
कब पत्तियां ओस से भीग गयीं
और कब एक मधुमक्खी
को मैं भा गया
सृष्टि में कब ये घटा
कौन सा पहर था कौन सी घड़ी थी
किसी को पता नहीं..चश्मदीद तो बहुतेरे थे
पर पात्र हमीं दोनों थे
तभी तो मैं तुम्हारी गुंजन के
इंतज़ार में खोया खोया सा बैठा रहता हूँ
कि कब तुम आओ और मेरी किसी पंखुरी पर बैठ
इज़हार करो प्यार का दुलार का
मुझे छू कर चूम कर ही तो किसी दिन
किसी पेड़ के तने पर तुम बना लेती हो
हज़ारों लाखों रोम छिद्र का एक घर
और हर रोम छिद्र को भर देती हो
मीठे मीठे एहसास से
तुम मुझे फूल से पराग और पराग से
शहद बनाने के काम में जुटी रहती हो
लेकिन जानती हो मैं क्या चाहता हूँ
किसी दिन तुम मेरे छोटे छोटे हाथों पर बैठो
और मैं मुट्ठी बंद कर लूँ
न मैं पराग बनना चाहता हूँ न शहद
तुम मेरी छोटी सी हथेली पर
ही अपना बसेरा बना लो
और मैं तुम्हें छू सकूँ जब चाहे
12/15/17
कब पत्तियां ओस से भीग गयीं
और कब एक मधुमक्खी
को मैं भा गया
सृष्टि में कब ये घटा
कौन सा पहर था कौन सी घड़ी थी
किसी को पता नहीं..चश्मदीद तो बहुतेरे थे
पर पात्र हमीं दोनों थे
तभी तो मैं तुम्हारी गुंजन के
इंतज़ार में खोया खोया सा बैठा रहता हूँ
कि कब तुम आओ और मेरी किसी पंखुरी पर बैठ
इज़हार करो प्यार का दुलार का
मुझे छू कर चूम कर ही तो किसी दिन
किसी पेड़ के तने पर तुम बना लेती हो
हज़ारों लाखों रोम छिद्र का एक घर
और हर रोम छिद्र को भर देती हो
मीठे मीठे एहसास से
तुम मुझे फूल से पराग और पराग से
शहद बनाने के काम में जुटी रहती हो
लेकिन जानती हो मैं क्या चाहता हूँ
किसी दिन तुम मेरे छोटे छोटे हाथों पर बैठो
और मैं मुट्ठी बंद कर लूँ
न मैं पराग बनना चाहता हूँ न शहद
तुम मेरी छोटी सी हथेली पर
ही अपना बसेरा बना लो
और मैं तुम्हें छू सकूँ जब चाहे
12/15/17