गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

वो वक्‍त
कब होता है
जब मैं 'मैं' होती हूं
और वहाँ
तुम नहीं होते......

कहो न फिर
मैं तुम्‍हें याद कब करूँ
कैसे लिखूँ
आंसू भीगे ख़त

तुम तो तब भी
पास होते हो
जब मैं
अलगनी पर
गीले कपड़े 
पसार रही होती हूँ
या 
साग-सब्‍जी का
हिसाब कर रही होती हूँ

फिर कैसे
पतंग पर 
तेरे नाम एक संदेश लिखूँ 
और ढील दूँ डोर को
तुम तक पहुँचने के लिए
या समुन्दर किनारे
खड़े होकर 
लहरों को तुम्हारा पता दूँ

तुम्हें पता नहीं क्या अब तक 
मैं...यानी तुम 
क्‍या अब भी
दूरी कोई है हमारे दरमियाँ 

…© रश्मि शर्मा

1/20/18