गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

आवाज़ दी है आज इक नज़र ने 
या है ये दिल को गुमाँ
दोहरा रहीं हैं जैसे फ़ज़ायें
भूली हुई दास्ताँ 


जीवन में कितनी वीरानियाँ थी
छायी थी कैसी उदासी
सुनकर किसी के कदमों की आहट
हलचल हुई है ज़रा सी 

सागर में जैसे लहरें उठीं हैं
टूटी हैं खामोशियाँ
दोहरा रहीं हैं जैसे फ़ज़ायें
भूली हुई दास्ताँ      
अब याद आया कितना अधूरा 
अब तक था दिल का फ़साना
यूँ पास आके दिल में समा के 
दामन न हम से छुड़ाना 

जिन रास्तों पर तेरे कदम हों
मंजिल है मेरी वहाँ 
दुनिया से कह दो न हम को पुकारे
हम खो गये हैं यहाँ 
     
 2/19/18