शनिवार, 28 मार्च 2020

कहानी उस घटना की

गनर महिपाल_यादव_ने जज के पत्नी और बेटे को क्यों मारा
एक वीडियो वायरल है गुरुग्राम शूटआउट का, जिसमें एक पुलिस के सिपाही ने जज की पत्नी और उसके बेटे को गोली मारी है, उन दोनों की अस्पताल में मौत हो चुकी है।
यह घटना जितनी सामान्य सी दिखाई दे रही है उतनी है  नहीं है। दरअसल मरने वालों की संख्या 2 नहीं 3 है। वो जो तीसरे व्यक्ति की मृत्यु हुई है, वह सिपाही का बेटा था जिसे वह अस्पताल नहीं ले जा पाया, क्योंकि जज की पत्नी और बेटे को शॉपिंग करवानी थी, और शॉपिंग 5-5 घंटों तक चलती रही। उस सिपाही के घर से सुबह से बार बार फोन आता रहा और उसने अपने बेटे की बीमारी की बात जज को कई बार बताई, लेकिन जज यही कहते रहे कि, पहले मैडम को शॉपिंग करवा लाओ फिर अस्पताल चले जाना। फिर उसके घर से आखरी बार फोन आता है जिसमें उसकी पत्नी कहती है, "बेटा तो अब रहा नहीं, तुम अपनी नौकरी करो!" अब आप लोग ही बताइए वह क्या करता, बेटा इस दुनिया में रहा नहीं पत्नी ने भी दुत्कार दिया। 
पहली बात तो यह कि वह सिपाही उस जज का गनर था उनकी पत्नी और बेटे का नहीं, लेकिन यह जज लोग सिपाही को अपना पर्सनल नौकर समझ के अपने किसी भी परिवारी जन के साथ भेज देते हैं। जब वह सिपाही उन दोनों को गोली मार रहा था तो वह उन दोनों को खूब गालियां भी दे रहा था, वह कह रहा था "यह शैतान है और यह शैतान की मां है!" जाहिर सी बात है कि उसने अचानक ही गोली मारने का मन नहीं बनाया होगा, उसके मन में एक तरह की खिसीयाहट पहले से रही होगी। आज जब इन्हीं लोगों की वजह से उसका बेटा इस दुनिया से चला गया तो उसने अपने तात्कालिक व पुराने गुस्से को एक करके उन दोनों की छाती में उतार दिया।
सबसे बड़ी बात यह है की जब किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को कोई गनर प्राप्त होता है, तो वे लोग उसको अपना पर्सनल नौकर समझ लेते हैं और ऐसे-ऐसे काम करवाते हैं जो उसकी गरिमा के खिलाफ होता है। उसे सम्मान नहीं देते, उसे लोगों के सामने डांटते हैं, अपमानित करते हैं! क्यों भाई वह भी इंसान है, वह भी पढ़ा लिखा है, तुम उसको इस तरह क्यों अपमानित करोगे! क्योंकि वह एक सिपाही है, इसलिए!
उस जज के बेटे ने उस सिपाही को कहा था कि, "जितनी तेरी सैलरी है उतना तो हम अपने कुत्ते पर खर्च कर देते हैं" अब इस तरह का शब्द कोई सिपाही सुनेगा तो उसके मन में उसके व्यक्ति  के प्रति पूजा के भाव तो उठेंगे नहीं, तुम अमीर बाप की औलाद हो तो इसका यह मतलब नहीं कि तुम खुदा हो! तुम भी तो इंसान ही हो! अब करो अपने कुत्ते पर खर्च!
जो भी किया उस 'सिपाही महिपाल यादव' ने सही किया। ये जितने कथित महानुभाव लोग गनर लेकर चलते हैं, मैं सबको आगाह करना चाहता हूं कि, सभी लोग अपने गनर का मान-सम्मान करना सीख लें, वह अपनी नौकरी कर रहा है तुम्हारी चाकरी नहीं! हर सिपाही अपने अंदर सेवा भाव भी रखता है और बदले का भाव भी!
हर सिपाही अपने अंदर एक महिपाल यादव रखता है।
संजीव अवस्थी की वाल से

A R chaudhry

यह जो इस देश का विशेष वर्ग है न, यह दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश का सबसे घटिया, निर्मम, क्रूर और अमानवीय वर्ग है..पहलीं बात तो किसी भी देश में ऐसा कोई विशेष वर्ग है ही नहीं.. महत्व कम ज़्यादा हो सकता है, लेकिन ऐसी सामंतवादी व्यवस्था कहीं नहीं है.. इसलिए इस देश को आधा अधूरा और विकलांग लोकतंत्र ही माना जायेगा..

10/16/18