Rajeev Mittal
7 घंटे ·
यदि भारत के भविष्य का निर्माण करना है तो ब्राह्मणवाद को पैरों तले कुचल डालो .......... स्वामी विवेकानंद
शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद पहुंचे तो आयोजकों से बोलने की इजाजत मांगी...वहां उनसे हिन्दू धर्म के प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र मांगा गया तो स्वामी ने शिकागो से भारत में शंकराचार्य को तार भेजा कि वे उन्हें हिन्दू धर्म का प्रवक्ता होने का प्रमाण पत्र भिजवाएं।
ब्राम्हण जाति के आरक्षित उपाधिधारी शंकराचार्य ने विवेकानन्द को जवाब दिया "तुम ब्राम्हण जाति के नहीं हो बल्कि "शूद्र" जाति के हो, अत: तुम्हें हिन्दुओं का प्रवक्ता नहीं बनाया जा सकता है।"
शंकराचार्य के इस घटिया जवाब से स्वामीजी बेहद मर्माहत हुए.. उनकी पीड़ा देख शिकागो में मौजूद श्रीलंका से आए बौद्ध धर्म के प्रवक्ता अनागरिक धम्मपाल बौद्ध जी ने स्वामीजी को अपनी ओर से एक सहमति पत्र दिया कि स्वामी विवेकानन्द विद्वान हैं, ओजस्वी वक्ता है। इन्हें धर्म ससंद में अपनी बात कहने का मौका दिया जाये। इस तरह स्वामी जी को हिन्दू धर्म पर बोलने का मौका मिला..
स्वामीजी को शिकागो की धर्म ससंद मॆं बोलने के लिये ब्राह्मणों ने अधिकृत नहीं किया। विवेकानंद को बोलने के लिए धम्मपाल के भाषण के समय में से पांच मिनट दिये गये। उन पांच मिनट में स्वामीजी ने अपनी बात रखी और इन्हीं पांच मिनट की वजह से उन्हें सर्वोत्तम वक्ता घोषित किया गया..
शंकराचार्य के दुर्व्यवहार के कारण ही स्वामी जी ने अपनी पुस्तक"भारत का भविष्य" में कहा है कि, यदि भारत के भविष्य निर्माण करना है तो ब्राह्मणवाद को पैरों तले कुचल डालो...
9/21/18