शनिवार, 28 मार्च 2020

हम कितने खुश नसीब हैं!!!



हम वो लोग हैं, जिन्होंने मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं...

हम वो लोग हैं, जिन्होंने मोहल्ले में अपने दोस्तों के साथ गिल्ली डंडा, खो खो, कबड्डी, कंचे खेले..

हम वो लोग हैं, जिन्होंने लालटेन की रौशनी में होम वर्क किया और नावेल पढ़े...और ख़त ओ किताबत की..

हम वो लोग हैं,  जिन्होंने मिटटी के घड़ों का पानी पिया और कूलर और एसी के बिना बचपन गुजारा..

हम वो लोग हैं जो सजने के नाम पर बालों में आंवले का तेल डाला करते थे और जिनकी पतलून की पिछली जेब में छोटा कंघा और दूसरी में कढ़ा हुआ रुमाल हुआ करता था..कि
कहीं भी आइना देखते ही जेब से कंघा बाहर आ जाया करता था..

हम वो बेहतरीन लोग हैं, जिन्होंने तख्ती पर मुल्तानी मिटटी का लेप किया, लिखने की कलम को तराशना सीखा, और स्याही की दावात से कपड़े और हाथ काले-नीले किये..

हम वो लोग हैं, जिन्होंने सिनेमा हॉल में अगली सीटों पर बैठकर गानों पर चिल्लर लुटाई और लकड़ी फट्टे को गानों की ताल बे बजाया..

हम वो लोग हैं जो, मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख छुप छिपा कर घर आ जाया करते थे..

हम वो लोग हैं, जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ को खड़िया का पेस्ट लगाकर चमकाया..

हम वो लोग हैं, जिन्होंने रात को छतों पर चांदनी रातों में रेडियो पर BBC लन्दन की ख़बरें और प्रोग्राम सुने..और रेडियो सीलोन पर भूले बिसरे गीत सुने..

कभी वो भी ज़माने थे, जब हम सब मिलकर रात होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते और फिर सफेद चादरें बिछा कर सोते थे..सबके हाथ में झलने वाला पंखा होता और 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते...

हम वो लोग हैं जो स्कूल में अक्सर सुबह की प्रेयर में न जा कर क्लास में अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ बतियाते थे..



10/24/18