शनिवार, 28 मार्च 2020

ऐसा पुल विकास के ढकोसलों से नहीं बनता..


हम इलाहाबाद का नाम बदल कर अपनी पीठ ठोंक रहे हैं..चीन से बनवाई पता नहीं कितने हज़ार फुट ऊंची सरदार पटेल की प्रतिमा बनवा कर हम अपनी छाती फुलाये घूम रहे हैं..हालांकि वो प्रतिमा किन्हीं छेन छुंग छीं की दिख रही है...

इतना ही नहीं.. हम उत्तरप्रदेश के एक शहर में हनुमान की पांच हज़ार मीटर ऊंची मूर्ति बनवा कर श्रद्धा में लस्त हैं..हनुमान जी की मूर्ति जिन विधायक या मंत्री ने जिस नदी के बीचो बीच बनवाई..वो शायद बीसियों साल से नदी न हो कर नाला है, और उस नाले की दुर्गंध हनुमान के दर्शनों से तो कतई दूर नहीं होती..

अब सुनिये समुद्र पर बने विश्व के सबसे बड़े 55 किमी लंबे पुल की बात.... यह पुल अक्सर हमारी ऐसी की तैसी करने वाले चीन ने बिना नगाड़े बजाय बनवाया है..

चीन की राजधानी बीजिंग की सातवीं रिंग रचालू होने वाली है, भारत की राजधानी दिल्ली की तीसरी भी नहीं बन पाई। दुनिया के विकसित देश 5जी शुरू कर रहे हैं, हमारी एक कॉल पूरी करने के लिये के लिये चार कॉल कम से कम लगानी पड़ती हैं.. 

हम एक्सप्रेस हाई वे बनाते है जिसमें एक साल बाद ही एक कार को समाने वाला गड्ढा बन जाता है..हमारे प्रधानमंत्री को उद्घाटन की इतनी जल्दी रहती है कि अधबनी सड़क राष्ट्र के नाम समर्पित कर दी जाती है और जो एक ही बारिश में मुहँ फाड़ देती है..लेकिन हम पूरी गम्भीरता से विश्वगुरु हैं, जहां आठ साल के बच्चे की देश की राजधानी की एक कॉलोनी में इसलिये मार दिया जाता है क्योंकि वो विधर्मी है..



10/26/18