सोमवार, 30 मार्च 2020

मुज़फ़्फरपुर के जून में योगा क्लासेज़

हमेशा की तरह अपने करीबियों से मिलवाने को आतुर मैडम विनोदिनी शर्मा ने वीसी लेन वाले घर में उस बार जब दाढ़ी और लम्बे बाल वाले ग़ाज़ियाबाद टेलीफोन्स के रिटायर्ड जीएम का परिचय करवाया तो ज़्यादा कुछ नहीं...

कुछ महीनों बाद फिर वही चेहरा..मई ख़त्म होने को...इस बार यह भी पता चला कि शर्मा जी अंतरराष्ट्रीय ख्याति के योग शिक्षक भी हैं..मन की बात थी..गौर से देखा तो सच में साधु सा व्यक्तित्व..अब की मुज़फ़्फरपुर में काफी दिन रुकेंगे..इसलिये चाहूं तो लाभ उठा सकता हूं..ऐसा कुछ मैडम ने बोला.. लेकिन शर्मा जी को भी अच्छी तरह  मालूम कि रात दो बजे तक की नौकरी के बाद कौन सुबह सुबह इत्ती दूर उनकी छत पर योग आसन  लगाने आएगा..अपन के चेहरे पर भी कोई भाव नहीं..पर, अपने जुनून से भलीभांति वाक़फ़ियत थी..इसलिये चलते समय यह ज़रूर पूछ लिया - सुबह कितने बजे...हर हाल में साढ़े पांच तक..शर्मा जी बोले..

मोतिहारी रोड पर बिल्कुल सुनसान में बने हिन्दुस्तान के ऑफिस में रात काटने का रिकार्ड बन ही चुका था अपना..एक या दो जून की सुबह चार बजे बजाज के चेतक पर बैठ तारों की छांव में चल दिया ब्रह्मपुरा, अपने की घर की ओर..और फिर ठीक सवा पांच बजे शर्मा के दरवाजे पर घंटी मार रहा..छत पर शर्मा जी ने अचम्भे से देखा और अगले ही पल चटाई बिछा कर वो और उनका चेला दोनों योगमुद्रा में..

अगले पूरे पैंतीस दिन (बस एक सुबह गंगा पार मनीष के यहां गृहप्रवेश) रोज सुबह दस किलोमीटर स्कूटर चला कर शर्मा जी के घर की छत पर मेरा और सूर्य की लालिमा का एक साथ कदम धरना अच्छे अच्छो को चकरा गया..एक मज़ेदार बात और कि रोज सुबह गुरु गंभीर फिटनेस प्रोग्राम के साथ साथ चलते समय गुरु पत्नी का एक थैले में अपने बगीचे के पेड़ों पे लगे विभिन्न प्रकार के फल भर कर देना...और कई बंगलों के सड़क की तरफ झूला झूलते बीजू आम हम तोड़ लेते...

ऑफिस में दो बजे के बाद सोने का प्रोग्राम मुल्तवी कर एक घंटा संगीत का रियाज़..सुबह सात बजे शर्मा जी के यहां से लौटती बार में भारत रेस्त्रां में पूरी, रसेदार आलू और चाय ..यानि कुल मिला कर वो जून का महीना यादगार साबित हुआ..

9/21/18