शनिवार, 28 मार्च 2020

घोड़ों की नाल बनाने वाले के यहां 
एक पुराना वाक़या...

दंडकारण्य की वो सुबह बड़ी सुहावनी थी..कौवे की कांव-कांव कोयल जितनी सुरीली.. सूर्य की किरणें झिलमिला रहीं.. सरोवरों में कमल खिल रहे.. पशु-पक्षी निर्भय हो कूद-फांद मचा रहे थे.. 

एक वट वृक्ष के नीचे बैठे राक्षस कुल के दो सहोदर वातापि और इल्वल प्रकृति की अनुपम छटा से बेखबर भोजन पानी की जुगाड़ में लगे थे.. पिछली रात वातापि रोजमर्रा की तरह बकरा बना और इल्वल ने उसकी काटाई-छांटाई कर बढ़िया डिश तैयार की और तयशुदा कार्यक्रम के तहत सूर्यपाणी ऋषि को खिला दी..ऋषि के पेट में वातापि के जाते ही इल्वल ने उसे आवाज दी और वह ऋषि का पेट फाड़ कर बाहर आ गया..ऋषि का भोग लगा कर दोनों ने उनकी कुटिया उथली-पुथली तो उन्हें वहां से सोने से मढ़ा एक आमंत्रण पत्र मिला, जो लोहा सम्राट की बिटिया की शादी का था.. 

शादी पेरिस नाम के शहर में थी..कार्ड में चांदी के तारों से अतिथियों का नाम टांका गया था। दोनों भाइयों ने नाम पढ़ने शुरू किये..उनकी निगाहें शाहरुख खान और ऐशवर्या राय के नामों पर ठहर गयीं.. वातापि के मुंह से तुरंत निकला-अरे इलु ये तो वही हैं देवदास वाले.. इनसे मिलने तो जरूर चलना है।

तभी इलु बोला-वातु, अहा दावत में डेढ़ हजार किस्म के पकवान हैं..फ्रेंच डिशेज भी हैं.. चारों तरफ मांस ही मांस होगा..भई मैं तो सारा खा जाऊंगा, एक लुक्मा भी किसी के लिये नहीं छोडूंगा..

तो मैं क्या खाऊंगा इलु? तुम सारे मेहमानों को डकार लेना..अब इसमें कोई बहस नहीं.. पर पेरिस है कहां? चलो चल कर विराध चच्चू से पूछते हैं..दोनों भाई विराध के पास पहुंचे और पेरिस के बारे में पूछा..और फिर यह भी पूछा कि यह लोहा सम्राट किस इलाके के अधिपति हैं..एक हाथी को अभी-अभी निवाला बना कर चुके विराध ने कहा- भतीजो, लोहा सम्राट कहीं के राजा नहीं हैं, वह सारे जहान का जंग लगा लोहा खरीदते हैं, जिनसे घोड़े की नाल बनायी जाती है..दुनिया भर के काले घोड़े इन्हीं की नाल अपने खुरों में ठुंकवाते हैं..जब ये नाल काफी घिस जाती हैं तो इनके छल्ले बनवा कर शनि की साढ़ेसाती दूर करने को उंगली में पहने जाते हैं..इन छल्लों की तो यूरोप के देशों में भी काफी डिमांड है..

अब तुम लोग रावण के कबाड़खाने में पड़े पुष्पक विमान को दुरुस्त करो और पश्चिम की ओर निकल जाओ..नेपोलियन का पता पूछते-पूछते पेरिस पहुंच जाओगे.देखो कोई ऐसी वैसी हरकत मत करना, जिससे राक्षस कुल पे दाग लगे..दोनों इस राक्षसी ढंग में न चल देना, कपड़े-वपड़े पहन कर जाना.. किसी सैलून में जाकर यह झाड़-झंकाड़ साफ करा लो.. दोनों ने चच्चू का कहा किया और पेरिस पहुंच गये..

लोहा सम्राट के जनवासे तक पहुंचने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि शहनाई वादन उनको इंगलिश चैनल पर ही सुनाई दे रहा था..जनवासे में पहुंच सबसे पहले वो लपके कलकत्ता से बुलाये गये मशहूर कुक मुन्नू महाराज के इंतजामात की ओर क्योंकि पिछले तीन घंटे से उन्हें किसी का नाखून तक चबाने को नहीं मिला था..उनके सामने फौरन कई सारे डोंगे और प्लेटें आ गयीं..एक में बादाम की पकौड़ी, एक में करेले का हलुवा, एक में चिरौंजी पड़ी कढ़ी और पता नहीं क्या-क्या..

इलु ने एक खानसामे को रोका और कहा मांस कहां है और वो भी कच्चा? खानसामे ने कहा ए मोशिये चुप्प-यहां मांस का नाम तक मत लेना.. जनाने वाले शाकाहारी हैं..हम फ्रांसीसियों को भी इसी घास-फूस से काम चलाना पड़ेगा.. दोनों भाइयों ने पेट पर हाथ फेरा.. फिछली रात खायी हड्डी-बोटियों को याद किया और उसी की डकार मार ऐशवर्या को देखने लपके..देखा, एक महल जैसे भवन में शाहरुख और ऐशवर्या शादी के मौके पर दिखाये जाने वाले प्रोग्राम के डायलॅाग याद कर रहे हैं..

उसी प्रोग्राम में शाहरुख को विदाई गीत ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ और ऐशवर्या को ‘वो मेरा होगा वो सपना तेरा होगा’ गाना था..दोनों ने हारमोनियम और ढोलक बजाने वालों को बुलवा रखा था..वातापि और इल्वल जैसे ही उन लोगों की तरफ बढ़े कि सामने से आ रहे संदीप खोसला से टकरा गये..दोनों की अनोखी वेशभूषा देख संदीप के कानों में सीटियां बजने लगीं..कहीं ये दोनों अबु जानी या किसी और डिजायनर के हाथ न लग जायें, वह तुरंत उन्हें बहला कर वहां से ले गया और शादी निबटने तक दोनों को ले जाकर उसी जगह बंद कर दिया जहां 18 वीं शताब्दी में फ्रांस के राजा लुई सोलहवे को क्रांतिकारियों ने कैद किया था..बाहर बारात आ गयी का शोर मचा हुआ था और बाजे वाले दुल्हनिया ले जायेंगे बजा रहे थे..

10/4/18