बिहार...
वहां का हाल पढ़ कर दिल दहल-दहल जा रहा है..शर्म आ रही नीतीश कुमार पर, और उससे भी ज़्यादा शर्म आ रही खुद पर कि 2006 में अखबार के किसी सप्लीमेंट में मैंने उनकी प्रशंसा करते हुए बड़ा लेख लिखा था और उसे पढ़ कर नीतीश ने धन्यवाद पत्र भेजा था..
पांच साल के अपने बिहार प्रवास मेंम वहां की राजनीति और नेताओं, वहां के सामाजिक हालात पर, जातिवाद पर खुल कर लिखा बल्कि बाकायदा बखिया उधेड़ी..खास कर लालू प्रसाद यादव की..और यह केवल 11 साल पहले की बात है..अगर आज बिहार में रह कर उसी अंदाज में लिख रहा होता तो शर्तिया जेल में होता या मार दिया गया होता..
लालू प्रसाद और राबड़ी देवी का दिल से शुक्र गुजार हूँ कि उनके समय में बिहार के "जंगल राज" में अपन खुल कर खेले और बेखौफ खेले..नीतीश के इस सुदर्शन शासन में पता नहीं अपना क्या हाल होता..
8/21/18