मेरे हूलूलूवासियो..अब आप भारतवर्षीय हो
2019 के चुनाव जैसे जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, आपके दिमाग में ठूंसा जाएगा कि 2014 से पहले आप एक पत्ता आगे और एक पीछे लपेट कर घर से बाहर निकलते थे ...तभी कोई अंजना कश्यप या सुधीर भारत माता के जयकारे लगाते हुए किसी अदृश्य शक्ति को झुक कर प्रणाम करेंगे कि मात्र चार साल तीन महीने में आप तमीज़ से तन ढँकना जान गए हैं..आपके तन ढंकने का काम दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां कर रही हैं..
ऐसा करने वाला महापुरुष कौन..
फिर कोई अर्नब और श्वेता सिंह आपको विद्या माई की कसम कहा कर बताएंगे कि 2014 से पहले आप जंगली सुअर का शिकार तक करना नहीं जानते थे ..घरों की दीवारों पे रेंगते जीव ही आपकी खुराक थे..और चार साल तीन महीने बाद आपकी रसोई में गैस है, चूल्हा है, करछुल है, कढ़ाही है..और सड़कों पर kfc के मसाले दार मुर्गे लदे हैं..ये दोनों भी किसी अदृश्य शक्ति को प्रणाम करेंगे..
आपको निवाले खिलाने वाला महापुरुष कौन
आपको ये भी मानना पड़ेगा कि जब उस अदृश्य शक्ति ने भारत भूमि में कदम धरा तो आप वनमानुष से आर्य जाति में तब्दील हो गए..सारे देवता आपकी सेवा में हाज़िर हो गए..घर घर में लक्ष्मी डाल डाल पे उल्लू वाला हाल..कुबेर ने खजाने खोल दिये..हर बरामदे में कामधेनु, हर चौखट पर हस्ति.. हर रसोईघर में द्रोपदी की बटलोई..रहा सहा काम अन्ना हजारे कर गए थे कि पूरे देश में कहीं ताला नहीं लगता..अलीगढ़ में अब केवल चाबियां बनती हैं..
2014 से पहले आप भारत वासियो तोतले हुआ करते थे..और मितरो तोतलों की कोई भाषा नहीं हुआ करती..मन की बात रूपी देववाणी ने आपको भाषा दी..आपको भाषा के संस्कार दिए..लिपि दी.. उससे पहले आपको बाबाजी का घंटा भी बजाना नहीं आता था..
चार साल तीन महीने पहले क्या थे आप..तिरहुत के थारू थे आप ..और आज..आज आपके शहरीपन के डंके बज रहे हैं दुनिया भर में..
आज आप बना बनाया बिगाड़ कर फिर से बनाना सीख रहे हैं..नेहरु के समय आप तमीज़ लायक समाजवादी भी नहीं थे..आज आप भले ही घिसट रहे हों..मेट्रोवादी हैं..जिसकी कायल दुनिया भी हो चली है..
यहां तक कि डोनाल्ड ट्रम्प भी डरते डरते आपको अंगूठा दिखाता है और पूछता है कि किस हाथ का दिखाऊँ..
चीन की सेना आपसे पूछ कर आपके यहाँ कदम धरती है..और फिर सड़क बनाती है..अब पाकिस्तान हमारा दुश्मन नहीं है...हमारे और उसके संबंध सिकन्दरकालीन पोरस और आम्भि वाले हो चले हैं...चीन के साथ हमारे सांस्कृतिक संबंधों में बौद्ध कालीन मजबूती आई है..हमारे आमिर खान की फिल्मों को वहां हाथोंहाथ लिया जाता है...
हमने लव को जिहाद से, पुलों को मलबे से, सड़क को खाई से, नदी को नाले से, पतंग से सलमान को, जज को लोया से, गाय को चौराहे से, ट्रेन को बैलगाड़ी से जोड़ने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है...
अब क्या बच्चे की जान लोगे...
आदतानुसार घर भर के बदल दिए ...
साभार / राजेन्द्र कोठारी
9/8/18