जोर से बोलो..भारत माता की..जय
गांधी जी की हत्या हो चुकी थी...वामन दास ने 19390 से 1947 तक बापू द्वारा लिखे गए सभी पत्र जला दिए...वो पन्नित जी अब प्रधानमंत्री बन गए, जो दस साल पहले वामन दास के बोलने को मंच पर माइक नीचे किया करते थे..दिल्ली या पटना जा के क्या करेगा वामन दास.. अब तो उसे एक आखिरी काम करना है..
नागर नदी....भारत और पूर्वी पाकिस्तान की सीमा रेखा...माघ की सर्दी...राम डंडी सिर पर आ गया...गांधी जी का परम चेला साढ़े तीन फुटा वामनदास उस जगह आ गया है..जहां से होकर मारवाड़ियों और पंजाबी व्यापारी कापरा का तस्करी का माल बैलगाड़ियों से हो कर गुजरेगा और पूर्वी पाकिस्तान जाएगा...
दोनों तरफ के सुरक्षा बलों को पैसा जा चुका है पचासों गाड़ियां....जिन पर लदा होगा कपड़ा..चीनी और सीमेंट...कुछ गाड़ियां उस कालाबाज़ारी की भी हैं..जिसकी दुकान पर कभी धरना दिया जाता था...आज वो जिला कांग्रेस सचिव है....
सप्लाई इंस्पेक्टर और कटरा थाना के दरोगा की आठ आना हिस्सेदारी...यहां का माल पूर्वी पाकिस्तान भेजा जा रहा है...चोर घाट पर
वामनदास चुपचाप खड़ा है..बड़बड़ा रहा है..बापू...मैं आ रहा हूँ आपके पास..देश की आजादी मेरे लिए नहीं हुई...
गाड़ियां आ गयीं एकदम क़रीब...
बापू की सभा में रघुपति राघव राजा राम बेसुरी आवाज़ में गाने वाला वामनदास.....आज इस अंधेरी रात में सेत्ताराम सेत्ताराम सुन कर नाका सिपाही ने पूछा कौन...हम वामनदास..
नाम सुन कर सिपाही कांप गया है..सन् तीस से जानता है गांधी बाबा के इस चेले को..सिंह जी.. गाड़ियां लौटाओ फौरन...
सिपाही को ढाई हज़ार मिल चुके हैं...सिंह जी सभी गाड़ियां रुकवा कर कलीमुद्दीन डाकबंगले जाता है....
डाक बंगले में सप्लाई इंस्पेक्टर, दुलार चंद कापरा और थाने का हवलदार दारू चढ़ा रहे हैं...साथ में मुर्ग मुसल्लम...अब दो टांगों वाली का इंतज़ार चल रहा है...सिपाही ने वामनदास की जानकारी दी..सब जा पहुंचे...देखा अंधेरे में खड़े साढ़े तीन फुटा उस पागल इंसान को..
कापरा जी सामने आइये...वामन रास्ता छोड़ दो..
वामन तो आज पूरा हिसाब साफ करने को खड़ा है..
कापरा सिपाही से बैलगाड़ियां हांकने को कहता है...
वामनदास कभी एक बैल को पकड़ता है कभी दूसरे को...एक बैल उसे गिरा देता है...सब गाड़ियां गुजर जाती हैं...हवलदार और सिपाही लुंजपुंज हो चुकी वामनदास की लाश नागर नदी के उस पार फेंक देते हैं..और कापरा वामदास की झोला कथरी एक पेड़ पर टांग देता है...
वामनदास ने दो आज़ाद देशों की ईमानदारी को..इंसानियत को बस दो डेग में नाप लिया...
सिपाही ने वामन की खंजड़ी नदी में फेंकी यह कहते हुए ...डमरू बजा के गाते रहो रघुपति राघव राजा राम...
8/14/18