सोमवार, 30 मार्च 2020

टिटवाल का कुत्ता कभी नहीं मरेगा मंटो..


बोफोर्स से राफेल तक पहुंच गया है हमारा देश पिछले तीस साल में..बोफोर्स उछालने वालों ने जम के गेंदतड़ी खेली और राजीव गांधी की सरकार गिरा गए..2019 में राफेल का क्या खेल होगा, इसकी दिशा मीडिया तय करेगा..बल्कि तय क्या खाक करेगा..वो तय कर चुका है कि अगर राष्ट्र को बचाना है तो टिकटी पे बांध कर राष्ट्रीय अस्मिता नंगा कर जुलूस निकालो.. इस बार भारतीय मीडिया के प्रातः स्मरणीय राफेल के धुएं में मुहँ काला करने को तैयार बैठे हैं...

तीस साल पहले मीडिया कई बड़े घरानों की रखैल हुआ करता था, अब मीडिया कुलटा बन सड़क पर आ गया है...

रात आठ बजे किसी भी न्यूज़ चैनल पर मचता घमासान राष्ट्रवाद को मजबूती प्रदान कर रहा है... कोई भी बाली उमरिया की सुकन्या किसी उम्रदराज शख़्स को कुछ इस अंदाज़ में हड़काती मिल जाएगी.... चुप बैठ नासपीटे.... तेरे दांत तोड़ दूँगी कलमुँहे.... 

इस बीच पात्रा या सुधांशु यह भी जताते जा रहे होते हैं कि अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं.....  इस तरह की चुहलबाजियां हर चैनल पर हर दिन  देखने को मिल जाती हैं ....

अब आगे चलें ..... फैंटम फिल्म का एक डायलॉग याद रखने योग्य है ....  सर हम कुछ करते क्यों नहीं..... बस क्रिकेट
खेलना बंद कर देते हैं ....सो वो अभी भी नहीं खिल रहा..

अब एक कहानी याद आ रही है .... टिटवाल का कुत्ता .... 1948
के कश्मीर युद्ध पर मंटो ने लिखी थी .... एक  पहाड़ी पर  पाकिस्तानी चौकी और दूसरी पहाड़ी पर हिन्दुस्तानी चौकी...... अचानक एक कुत्ता इस तरफ वाली चौकी में आ गया ... भारतीय सैनिकों ने उसको चाय बिस्कुट खिलाये और उसका नाम रख दिया चपड़ चूँ चूँ .... यही नाम एक तख्ती पर  लिख कर उसके गले में बाँध दिया .... 

भारतीय खेमे से ऊब कर वो पाक चौकी में घुस गया … उसको अपना कुत्ता साबित करने को पाक सैनिकों ने उसका नाम सपड़ सूं सूं रखा और गले में टांग दिया.... दोचार दिन में जब  देख लिया कि  कुत्ता दोनों का माल हजम कर रहा है .... दोनों तरफ से उस पर निशानेबाजी हुई और वो शहीद हो गया .....लगता है उसकी आत्मा भारत में चपड़ चूँ चूँ और पाकिस्तान में सपड़ सूं सूं बन अब तक मंडरा रही है ...

करीब अट्ठाइस साल हो गए जब से मुफ़्ती की बिटिया को आतंकवादियों के बदले छुड़ा कर लाया गया है तब से केंद्र में कोई भी सरकार हो..... चैन से सोने नहीं देती .... कभी रक्षामंत्री बेवजह टर्रा देता है..... हम कश्मीर का एक कण भी पाकिस्तान को छूने नहीं देंगे ……  उसके बाद गृहमंत्री चुप काहे बैठे  .... तो भैया क्या वित्तमंत्री कोदो खा के पढ़े हैं .... वो भी कुछ न कुछ बोलेंगे .... फिर विपक्ष के नेता … मतलब कि सिलसिला जारी रहता है और ख़त्म तब होता है जब रात को थाने का सिपाही दरवाजा खटखटा खुलवा के गुर्राता है .... कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है .... समझे न.... 

आये दिन अपने कुछ सैनिक मरवाने के बाद जब दो चार आतंकवादी पकड़े जाते हैं तो सारे चैनलों ने ऐसा हंगामा बरपा देते हैं  कि मानो हमें  लाहौर में घुसने का मौक़ा मिल गया हो... ऐसे ही विभिन्न मौकों पर तो रीगन से ले कर ट्रम्प तक  घबरा कर कव्वाली गाते नज़र आते  हैं..

और जहां तक हमारी रणनीति का सवाल है वो थोड़ा कन्फ्यूज्ड है .... जब पाकिस्तान से कोई चिल्लाता है कि हम भारत को नेस्तनाबूद कर देंगे तो तुरंत एक उच्चस्तरीय मीटिंग बुला ली जाती है ..... उसमें साथ साथ गिल्ली डंडा खेलने पर सबसे पहले प्रतिबंध .... हां, दूसरे मोहल्ले में जब जाकर खेल लो ...  फिर पान की सप्लाई रोकने पर गंभीर विचार होता है..लेकिन दोनों देशों के सैनिक साथ मिल कर चिड़ीमारी करने की योजना जरूर बनाते हैं.. चुनाव का वक्त जैसे जैसे करीब आ रहा है..हो सकता है इक़बाल भारतीय भूमि पर उतर.. सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा शुरू कर दें..

बहरहाल मोसाद जैसे ऑपरेशन या बजरंगी मुस्टंडों को पाक सीमा में घुस कर मार करने की सलाह पे काम चल रहा है ... पर सब इस विचार से सहमत हैं कि यह काम कबीर खान, सलमान खान, फैज़ अली खान या अक्षय कुमार जितने बढ़िया तरीके से आगे भी कर सकते हैं उतना कोई एजेंसी या कमांडो नहीं .... और सबसे बड़ी बात यह कि इस पर अमेरिका भी बुरा नहीं मानता.... 



9/3/18