शनिवार, 28 मार्च 2020



अहम ब्रह्मास्मि

बताते हैं कि भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक का सिर तो कृष्ण ने काट दिया लेकिन इस वायदे के साथ कि वो सम्पूर्ण महाभारत युद्ध देखेगा..

युद्ध के बाद जब पांचों पांडव अपनी वीरता का
गुणगान करते करते उग्र होने लगे तो युद्ध में पांडवों की तरफ से शामिल हुए यादवी सेना के चीफ सात्यिकी ने कहा कि हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या..चलो बर्बरीक से पूछ लेते हैं कि कौन ज्यादा वीर है..

युद्ध के मैदान से लगी एक पहाड़ी पर वृक्ष की शाखा पे टिके बर्बरीक के कटे सिर के पास बचे खुचे योद्धा पहुंचे और उससे भीम ने कहा .. पुत्र बता हम में सबसे ज़्यादा वीरता से कौन लड़ा..

बर्बरीक मुस्कुराया और बोला..दादू ..आपकी गदा हो या अर्जुन दद्दा का तीर..कौरव सेना पर आप लोगों के हर प्रहार में सुदर्शन चक्र ही नज़र आया मुझे तो..

अब आगे सुनिये..

फौजियों में मैं रेम्बो हूँ, गोल्फ़रों में टाइगर वुड्स हूँ, अफ्रीकियों में नेल्सन मंडेला हूँ, डिग्रीधारियों में डीलिट् हूँ, मराठियों में पेशवा बाजीराव द्वितीय हूँ, राजस्थानियों में राणा प्रताप हूँ, गुजरातियों में अम्बानी हूँ, नगालैंड में फीजो हूँ, मंगोलिया में चंगेज़ी हूँ, फांसी का फंदा चूमने में खुदीराम बोस हूँ..वायसराय पर बम फेंकने में रासबिहारी बोस हूं.. आज़ाद हिंद फौज का सुभाष चन्द्र बोस हूँ..अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों की गोली खाने वाला चंद्रशेखर आज़ाद मैं हूँ..भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान करने वाला गांधी मैं हूँ..बारडोली किसान आंदोलन का सरदार वल्लभ भाई पटेल मैं हूँ.. आज़ादी के बाद भारत की पंच वर्षीय योजनाओं का अर्थशास्त्री महालनवीस मैं हूँ..भाभा मैं हूँ..साराभाई मैं हूँ..राजकपूर मैं हूँ..देवानंद मैं हूँ...और अमेरिका का ट्रम्प भी मैं ही हूँ..

जो मेरे इन विविध रूपों को दर्शन लाभ करता है, नोटबन्दी और जीएसटी को गले में लटका कर कैमेन आइलैंड जैसे टेक्स हैवेन देशों में जाकर बेख़ौफ़ बस जाता है..



10/22/18