सोमवार, 30 मार्च 2020

मुजफ्फरपुर कांड पर एक कराह..

मैं जिस दुनिया का सोग मना रही हूं वो पहले से ही बीमार है. अब वो मर चुकी है. जब औरतों की देह पर हमला हो या बच्चियों के बदन से उनका मांस नोच लिया जाए तो ये समझना होगा कि इसके पीछे पूरा विचार है. सत्ता और अश्लील पूंजी का खेल है. पता नहीं कैसी-कैसी भयानक बातों के आसार हैं. ये कल्पना का अंत है. ये वीभत्स विचारधारा बैठकों में, बदबूदार बिस्तरों में जन्म लेती है. हमारा सामान्य व्यवहार, हमारा समाज हमारे सपने तक रक्तरंजित हैं.

इस घटना ने देश की सत्ता को पूरी तरह उधेड़ दिया है. काश कि हमारा देश उबल पड़ता. आग लग जाती, खेत-खलिहान जल उठते. इन बच्चियों की अंतहीन अंधेरी यातना भरी रात का अंत भी हो जाता. पर नहीं मालूम कि अभी और कितने दर्द और ख़ौफ़ के बीच इन्हें गुज़रना है. कोर्ट-कचहरी में हर बार अपने साथ हुए बलात्कार का बयान करना है.

8/4/18