अज़ीम के बहाने..
अमन कुमार..अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखो..शहीद भगत सिंह का नाम लेने से पहले उन्हीं के द्वारा लिखे हिन्दू महासभा के बारे में उनके विचार पढ़ें..नेहरू के बारे में उन्होंने क्या लिखा, उसे पढ़ें..
संघ में तो पढ़े बिना ही नफरत फैलाने का एजेंडा है..आज़ाद हिंद फ़ौज की चार रेजिमेंट के नाम बताएँगे आप !! भगत सिंह को इस कट्टरवादी सोच में इस्तेमाल नहीं कर सकते आप..वो पूजनीय हैं हमारे लिए..आप अपने सावरकर की बात करो, जो कई माफीनामे लिखकर आज़ाद हुआ और आज़ाद होने के बाद चुपचाप से एक बिल में घुस गया..उसे वीर कहते हो !!
गुरू गोबिन्द सिंह को धोखा देने वाले डोगरा राजा था कि नहीं..गंगू ब्राह्मण मुगल बादशाह की फौज से मिला हुआ था कि नहीं, जिसके चलते उनके साहिबज़ादों की शहादत हुई..
महाराणा प्रताप को किसने धोखा दिया? कितने राजपूत राजा मुग़लों से मिले हुए थे और उन सबने गद्दारी कर महाराणा प्रताप को हरावाया..
शिवाजी का साथ बाकी राजाओं ने क्यों नही दिया? राजपूत राजाओं में तो एक ने भी नहीं दिया क्योंकि सब डरपोक थे.. आसान रास्ता था सत्ता का साथ.. यही काम संघ ने किया था.. अब देशभक्ति याद आ गई.. धर्म के आधार पर लाशें गिनने का शौक़ है न?
कश्मीर में जब पंडितों को बेघर किया गया तो RSS ने चूड़ियाँ पहनी थीं क्या? उस कश्मीर में संघी जगमोहन की गवर्नर शिप थी कि नहीं.. जिसने कश्मीर से पंडितों को बाहर जाने को उकसाया..उनके पुनर्वास के लिए भी RSS ने क्या किया..बस जब नफरत फैलानी हो तो आपको कश्मीरी पंडित याद आ जाते हैं.. ज़्यादा प्यार है तो गुरू तेग़ बहादुर की तरह पंडितों के लिए शहादत देते.. आपका काम फ़ेसबुक पर सिर्फ नफरत फैलाना है..
इस देश के लिए हर किसी ने बलिदान दिया है, ये किसी धर्म विशेष की जागीर नहीं..ग़द्दार हर क़ौम में हैं और होते हैं..हाल के दिनों में पाकिस्तान के लिए मुखबिरी करता हुए पकड़े गए ज़्यादातर हिंदू हैं कि नहीं..
10/28/18