जरा सोचिए, हिटलर जब यहूदियों पर भीषण अत्याचार कर रहा था, तब वह उन्हें हर तरह से बदनाम करने की साजिश भी क्यों रच रहा था?
वह यहूदियों की धार्मिक स्वतंत्रता भी छीन रहा था और यहूदी धर्म को रूढ़िवादी बताते हुए उन पर पत्थर भी फेंकवा रहा था। हिटलर ने एक- एक करके यहूदियों के सारे हक़ छीन लिए और उन्हें डेथ कैंप की ओर ले गया।
यदि आप हिटलर युग में होते तो क्या करते? क्या आप हिटलर की यातना और यहूदियों की धार्मिकता से सामान रूप से घृणा करते हुए तटस्थ हो जाते? नहीं न?
...मैं तब निस्संदेह यहूदियों के साथ खड़ा होता। उनके धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के लिए आवाज उठाता। और आज भी आवाज़ उठाऊँगा..रंगभेद के ख़िलाफ़.. जातिवाद के ख़िलाफ़.. सम्प्रदायवाद के ख़िलाफ़.. किसी भी तरह के दमन के ख़िलाफ़....
मानवता और मानवीयता को बचाना है तो आवाज़ तो उठानी ही पड़ेगी..हिटलर आते रहेंगे जाते रहेंगे लेकिन इंसानियत बची रहेगी आपकी एक आवाज़ से..
9/10/18