सोमवार, 30 मार्च 2020

रिश्वत की जांच में रिश्वत की बीयर पी डाली


उत्तरप्रदेश सूचना विभाग के निदेशक श्रीलाल शुक्ल ने पांच बजे तक खाली हो जाने वाले इस सरकारी विभाग के विज्ञापन अधिकारी के कमरे की बत्ती देर तक जलने का कारण जान लिया होगा, तभी उन्होंने एक दिन मुझे अपने बड़े से कमरे में बुलवाया, जहां उपनिदेशक ठाकुरप्रसाद सिंह भी विराजमान थे..

श्रीलाल शुक्ल रागदरबारी वाले तो ठाकुर साहब बंसी और मादल के रचयिता..शुक्ल जी ने इस बेहद जूनियर पद वाले को चाय पिलाई तो ठाकुर साहब ने बस्ती शहर जाने का आदेश सुनाया..वहां से निकलने वाले अखबारों की जन्मपत्री लानी थी, जो विज्ञापन के नाम पर सरकार को लाखों का चूना लगा रहे थे..

पूरे उत्तरप्रदेश के छोटे बड़े हज़ारों हज़ार अखबारों का पेट पाल रहे सूचना विभाग का विज्ञापन अधिकारी 35 साल पहले करोड़पति की हैसियत में तो आ ही गया होगा..तो सूचना विभाग के बड़े अफसरान ने इन अखबारों की जांच के जरिये उस विज्ञापन अधिकारी को परखने का जिम्मा इस नाचीज़ को सौंपा, इस आदेश के साथ कि जांच रिपोर्ट में कोई कोताही न हो..

बस्ती..पूर्वी उत्तरप्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका..जो शायद कभी कागजों पर ही देखा था..जब हाथ पांव पूरी तरह फूल गए तो दिमाग के पट खुले...कि अपने साथ प्रकाशन विभाग के एक सहकर्मी को अपने खर्चे पर साथ ले जाना ही बेहतर होगा.. तेजतर्रार और ईमानदार राजेन्द्र पांडे का आगे भी बढ़िया साथ रहा..

सुबह ट्रेन ने बस्ती के वीरान स्टेशन पर उतार दिया..चलते समय अकल ने साथ दिया था तो ठाकुर साहब से प्रेस कार्ड बनवा लिया, जो उन दिनों अलादीन के चिराग के जिन से भी ऊंची हैसियत रखता था..उस प्रेसकार्ड से टीटी को आतंकित कर दो बर्थ लीं और स्टेशन पर उतर वेटिंग रूम के ताले खुलवा कर स्टेशनमास्टर को अपनी सेवा में ले लिया.. वहीं नहा धो कर नाश्ता किया और आठ बजते बजते शहर में घुसे.. और पते के अनुसार जिस अखबार का दफ्तर सबसे पास था, वहीं धंस लिए..

अखबार का मालिक रूपी संपादक एक मन्दिर में पुजारी के वेश में देवियों देवताओं की आरती उतारते हुए घंटा बजा रहा था..हमें भगवानों में कोई शौक नहीं था तो विघ्न डाल आरती रुकवा कर सरकारी प्रेस कार्ड दिखाया... 

बहुत बड़ा लेड़ी निकला..जब उसकी खाल खींचनी शुरू की तो भाग कर केले का थम्ब ले आया कि केले तोड़ तोड़ के खाओ आप..विज्ञापन और अख़बारी कागज की मद में सूचना विभाग को जम कर चूना लगा रहा वो सरकारी दामाद पांच पैसे खर्च करने को तैयार नहीं दिखा..क्योंकि एक तो ब्राह्मण, ऊपर से धर्म के कोठे का दलाल..बड़ी खामोशी से उसे ब्लैक लिस्ट में डाल भन्नाते हए उठ लिए..

दूसरे का पता पूछते पूछते स्वतंत्रता सेनानी से जा टकराये.. जो अपने दफ्तर में बैठ कुछ दर्शनार्थियों से महात्मा गांधी की जय बुलवा रहा था..बहरा था इसलिए ऊंची आवाज़ में हमारा दीदार किया..और जब पता लगा कि हम क्यों आए हैं तो प्रेमचंद की बूढ़ी काकी वाली मुद्रा में आ गया.. तब उसने हमें देशसेवा करने वालों की सेवा करने के गुर सिखाने शुरू किए...जब हम अघा गए तो हमारे बोल फूटे..कि हम भूखे हैं पेट में कुछ डाल दे..

बुजुर्गवार ने तुरंत अपने अखबार के महाप्रबंधक को हमारे साथ भेजा कि किसी ढाबे पर वो हमें खाना खिला दे..जैसे तैसे अपना पेट भरवा कर हम वहीं आ गए..जब मुद्दे पर आए तो स्वतंत्रता सेनानी ने देश की सेवा करते हुए प्राण त्यागने की धमकी दी और हमसे क्लीन चिट देने की गुहार मचाई..हम दोनों आंसू पोंछते हुए उठ खड़े हुए कि हम उनके लिए कुछ स्पेशल करेंगे..

उनके दफ़्तर से बाहर निकल कदम बढ़ाए ही थे कि पीछे चूड़ियां खनकीं..अचकचाए से पीछे घूमे तो एक सुंदर महिला हमें इशारे से बुला रही और महिला की बगल में खड़े बुजुर्ग बिना दांतों की हंसी निकाल रहे..

वो बोलीं..हमारे लिए कुछ अच्छा कीजियेगा..अपन ने कुछ हें हें वाली साउंड निकाली और बोला..आप चिंता न करें..तभी उन्होंने हमारे हाथ में सौ सौ के कुछ गांधी बाबा रख दिये..my god पसीने छूट गए.. और रुपये उनके हाथ में थमा कर भागे वहां से..पीछे सुनिये जी की करुण पुकार को अनसुना कर..

सड़क पर पहुंच सिर पे पैर रख पाते कि तभी महाप्रबंधक अपने दो कर्मचारियों के साथ रुकिये रुकिये चिल्लाते हुए भागे चले आते दिखे..रुके तो उन्होंने हमारे पैर पकड़ लिए..उनके हाथ में वो ही सौ सौ के गन्नी जी वाले नोट.. हम कुछ बोलते कि वो आंसू पोंछते हुए बोले.. देखिये अगर आप ये आठ सौ रुपये नहीं ले रहे हैं तो हमें दे दीजिए..कई महीने से तनख्वाह नहीं मिली है..हमारे बच्चे आपको दुआएं देंगे...एक मिनट सोचा और फिर महा प्रबंधक के हाथ में सात सौ रुपये रख दिये..और फिर उन तीनों से पैर छुआ कर हम दोनों बढ़ लिए..हाँ उनसे यह जरूर पूछा कि वो देवि कौन थीं..तो पता चला .. स्वतंत्रता सेनानी की तीसरी पत्नी..

रिश्वत के उन सौ रुपयों से बियर खरीद कर पी गई..और यह सोच कर कि यहां अपना धर्म भ्रष्ट हो जाएगा, सामने से निकल रही लखनऊ की बस पकड़ने को दौड़ लगा दी..

जारी...

8/6/18