#कल्पनाओं_का_समाज
हम दक्षिण एशिया की नस्ले क्योंकि विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों का मिश्रण है तो अपने कल्पना लोक में विचरण हमारे स्वभाव का अंग बन गया है।
सरहद पार के हरकत-उल-सलवार गिरोह वाले गज़वा से लेकर बाबर तक की बहादुरी के किस्सों से ख़ुद को जोड़ते रहते है जबकि यहां आने वाले तुर्क, मंगोल, उज़्बेक का उनसे कोई सम्बन्ध नही है।
इधर भी अल-भगवादी गिरोह भीम के अथाह बल से लेकर ईरान से आगे तक हिन्दू राष्ट्र की कथा कीर्तन करके अपना उल्लू सीधा करता रहता है।
मिथकों के अतिरिक्त सम्राट विक्रमादित्य का शासन बहुत बड़ा बताया जाता हैं लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण यदि है तो मुझे मालूम नहीं है।
फिर सम्राट अशोक को महान विजेता कहा जाता है किन्तु
A- यदि अशोक इतना ही शक्तिशाली था तो क्या कारण कि एक कलिंग जैसे छोटे से राज्य पर विजय प्राप्त नही कर सका?
B- यदि उसकी शासन व्यवस्था इतनी ही सुदृढ़ थी तो कैसे उसके तुरन्त बाद उसके पोते की हत्या करके पुष्यमित्र शुंग ने बौद्ध संस्कृति का ही विनाश कर दिया।
( महाराजा रणजीत सिंह कहते थे कि उनके मरने के बाद क़ई साल तो उनकी समाधि ही राज करेगी और यदि अंग्रेज़ो की कुटिलता में राजा दिलीप सिंह तथा उसकी माँ न फंसती तो कोई सिख साम्राज्य को हिला भी नहीं सकता था)
( महाराजा रणजीत सिंह कहते थे कि उनके मरने के बाद क़ई साल तो उनकी समाधि ही राज करेगी और यदि अंग्रेज़ो की कुटिलता में राजा दिलीप सिंह तथा उसकी माँ न फंसती तो कोई सिख साम्राज्य को हिला भी नहीं सकता था)
फिर इतिहास ने करवट बदली और कथित महान देश छोटे राष्ट्रों में बदलता चला गया।
कथित रामराज्य और विष्णु अवतार राजा अपने रानीवासो तथा महलों तक सीमित होते चले गए।
बहुत कम ऐसे राज्य रहे जिन्होंने राजकाज या जनहित के कार्य किये। नदियों से नहरें निकाली या विदेशो से व्यापार करने का साहस किया।
सैनिक द्रष्टिकोण से भी अधिकांश कमजोर थे तभी तो सुदूर अफगानिस्तान और ईरान से लुटेरे आकर लुटपाट कर जाते थे।
फिर मुग़ल आये और बाबर ने सबको जोड़ना शुरू किया जिसे अकबर ने एक बड़े साम्राज्य के रूप में स्थापित किया परन्तु वो भी दक्षिण में असफल रहा।
औरंगजेब ने दक्षिण को भी फतह किया तथा सुदूर उत्तर पूर्व तक अपनी सल्तनत बढ़ाई। इस प्रकार कह सकते है कि उसके काल में हिंदुस्तान सबसे बड़ा राष्ट्र था जिसके प्रमाण मिलते है।
मुग़ल सल्तनत कमजोर होती गई तथा देश लाल किले तक सीमित हो गया।
अंग्रेज़ो ने पुनः छोटे छोटे रजवाडो को अपने अधीन करते हुए इंडिया की स्थापना की जो औरंगजेब की सल्तनत जितना या अधिक था।
1947 तथा 1971 में पुनः टूट गया और ..शेष कमेंट
पोस्ट से आगे...
तीन देश बन गए जो अलग अलग राज्यो का समूह है।
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तीन देश बन गए जो अलग अलग राज्यो का समूह है।
पाकिस्तान नाम वाले हिस्से में भी सिन्ध, बलोच तथा पख़्तून अक्सर अलग होने की आवाज़ उठाने वाले नेताओं को सनर्थन देता रहा है तो
इधर भी कश्मीर, खालिस्तान, या दक्षिण में कभी कभी कोई आवाज़ उठ जाती हैं और यथासमय दबा दी जाती हैं क्योंकि हमारे बुज़ुर्गो ने संविधान में सभी व्यवस्था रखी थी।
एक बार फिर बहुलता में एकता के महल में सन्तरी ही सेंध लगाने की कोशिश करता नजर आया जब गाय-गोबर की महत्ता सबसे ऊपर रख दी गई।
जिनके मन में धर्म के नाम पर राष्ट्र बनाने का सपना पल रहा हो उन्हें अच्छे से समझ लेना चाहिए कि यहां की मिट्टी पानी धर्म की सरहदे घर की चौखट तक सीमित करने की कुव्वत रखती हैं।
2022 में हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना हो या हिन्दू पाकिस्तान बनाने के 90 साल पुराने ख्वाब, इनका अंत सन्तरा मंडी के कूड़ाघर तक ही पहुंचा देता है तथा सब्ज़ी मंडी के कूड़ाघर में केवल बदबू ही आती हैं।