मंगलवार, 24 मार्च 2020

मोदी का राष्ट्रवाद.....
हिटलर समेत जितने भी तानाशाह हुये हैं वो इसी तरह राष्ट्रवाद का नारा लगा सत्ता में आए और फिर दमनकारी हो गए. मोदी का रास्ता भी वैसा ही दिख रहा है. काफी समानतायें है हिटलर से ..
१.. दोनों अनपढ़  ।
२..दोनों पत्नि विहिन, एक को थी ही नहीं दूसरा छोड़ दिया।
३.. दोनों OBC जाति से ।
४.. दोनों मे क्रूरता कूट कूट कर भरी है।
५.. दोनों की पर औरतों पर लार टपकती थी । दोनों को ड्रेस का शौक  जग जाहिर है
६.. दोनों का संगठन रेसिस्ट है और दूसरे रेस के प्रति घृणा पर आधारित है , हिटलर यहूदियों से और मोदी मुसलमानों से ।
७.. वहाँ हिटलर , गोयबेल की जोड़ी थी यहाँ मोदी शाह की।
" Patriotism is the last refuge of a scoundrel. Samuel Johnson , 7. april, 1775"
देशभक्ति और कमुनल राजनिति लफंगो की आखिरी पनाहगाह होती है। मोदी शाह दोनो ने मिलकर  भाजपा को लफंगो, अपराधियों, मवालियों, नचनियां, गवनियां, भांड़- भंड़ुओं का गिरोह बनाकर फेडरेटेड फासिज्म के तौर पर देश के संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को एक एक करके नष्ट कर रहें हैं। लोकतंत्र मे ५० साल राज करन का दावा करहे हैं , मतलब साफ है देश मे तानाशाह का राज होगा।
दूसरा चिंता जनक पहलू जिस पर टेलीग्राफ ने इशारा किया है कि मोदी और अमित शाह के जोड़ी बीजेपी को एक पार्टी के तौर पर खत्म कर चुकी है. आडवाणी, जोशी, सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली सब किनारे लगाए जा चुके हैं. बीजेपी अब केवल चुनाव लड़ने की एक मशीन है जो मोदी को सत्ता में बनाए रखने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं. आरएसएस का भी कितना कंट्रोल बचा है कहना मुश्किल है. z plus security में  मोहन भागवत जी रहते हैं , जो खुद ही डर का पर्याय हो ,पता नहीं उनको किससे डर है,

स्थिति चिंताजनक है देश और संविधान के लिए और बीजेपी के वजूद के लिए भी.