मंगलवार, 24 मार्च 2020

शिवू के नाम...
तेरे माथे पर , ममता भरे होंठों की जुम्बिश दूँ या तेरे बाल बिगाड़ कर तेरी नाक पकड़ कर तुझे चिढ़ा दूँ!! 
सुन, बैठ चन्दा मेरे, महसूस मुझे... मेरे साथ को....मैं तेरे जितने ही हाड़ मांस की, लगभग तेरी ही उम्र की ......तेरी वो सखी जो कभी मिल नहीं सकी तुझसे इस तरह जिस तरह आज मिलना हो सका..
दिन के बाद दिन गुजरते हुए, एक छोटा सा अरसा गुजर गया जब तेरी और राज की सूरत मुझे एक सी लगने लगी है..
तेरी आँखों मे राज की खिलंदड़ नादानियां और उसकी आवाज़ में तेरा जिद्दी लहज़ा पोर पोर महसूस करके कभी खीजती हूँ कभी नज़र उतारती हूँ तुम दोनों की..
कहते हैं जोड़ियां आसमानों में बनती हैं, सच ही होगा यह शिवम..तू और राज अधूरे ही तो थे एक दूसरे के बिना..
तू और पूनो किस कदर पूरा करते हो एक दूसरे को ....पूनो की गोद तेरी मौजूदगी से सिर्फ गोद नहीं रह जाती शिवम, कितने ही लाड़, कितने ही खदशे, कितनी ही नन्ही नन्ही ख्वाहिशें उनकी साड़ी की चुन्नटों में नाचती हैं तेरी उंगलियों में समाहित होकर।
मेरा राज  ....सफेद, शांत, बेदाग़, आंखों को ठंडक देती कोठी सा है तो तू उसकी साफ सुथरी सी जमीन पर पड़े लाल गुलमोहर के फूलों सा लग रहा है.. मानो उस सफेद कोठी ने अपने पाँवों में आलता लगाया हो..
तू पूनो का चाँद है शिवम.....
       
और मैं .....तू मेरा क्या है!!
मैं क्या हूँ तेरी! या तुम सबकी......ये सवाल छोटा सा है न, पर जवाब तो उगते उगते कई कई शाखाओं की छाया देने वाला दरख़्त बन चुका है.. जिस पर पड़े झूले में तुम सब यूँ ही झूलोगे हमेशा.. जिसकी पत्तियों की तालियां तुम सबकी हँसी पर बजकर, अनंत तक हवा में संगीत घोलेंगी।
जिसकी छाँव तुम पर झोंका दर झोंका ठंडक बनकर रहेगी मेरे प्यारों..तुम हमेशा रहोगे शिवू....अनंत तक रहोगे मेरे चाँद..

3/17/19