इस देश की जनता को सरकार कब चाहिये..उसे तो अपने वोट पर रहनुमा चाहिये..जो अकेले अपने दम पर हैय्या ओ हैय्या भी करे..और चप्पू भी चलाए..जो गंदगी भी बिखेरे..गंदगी साफ भी करे..सपने भी दिखाए और सपने तोड़े भी..दुश्वारियों में डाल दुश्वारियां दूर करने का नाटक करे..यानी जनता को कुछ न करना पड़े...अच्छा या बुरा जो करना है लोकतंत्र के परिधान में घुसा बैठा कोई रहनुमा करे..सपनों में जीने वालों को सपने दिखाते रहने वाला चाहिये..चाहे फिर वो कोई राजवंश हो..चाहे कोई घराना हो...चाहे कोई देवी देवता हो..चाहे इंदिरा गांधी हो..या चाहे नरेन्द्र मोदी हो..