गुरुवार, 26 मार्च 2020

धार्मिक चहबच्चों से भरा हमारा देश
नेहरु जी ने सन् पचास में भारत वर्ष को गणतंत्र तो बना दिया लेकिन अपने कई और सपनों पर कारग़र रूप से अमल नहीं कर पाए..कारण तो भारतीय राजनीति की टुच्ची सोच..अपढ़ जनता..विज़न की कमी..और वोट बैंक का भूत..जो उनकी सारी अच्छाइयों पर बेताल की मानिंद हरदम सवार रहा..
नेहरु जी ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के साथ साथ भारत को समुदाय निर्पेक्ष और जाति निर्पेक्ष बनाने पर ज़ोर दिया होता और शासन तंत्र को पूरी तरह नास्तिक बना कर सरकारी नौकरी से लेकर सरकार के हर कामकाज को जाति..धर्म .. क्षेत्रीयवाद और समुदाय से दूर रखा होता तो जवाहर लाल विश्व के सर्वकालिक महान नेता होते..

नेहरु जी ने बरदाश्त कैसे किया कि भारत जैसे हरामखोरी प्रिय देश में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अलावा कोई तीसरा सरकारी अवकाश दिया जाए..रात को दो बजे तक काम में लगा रहने वाला इनसान देश में कामकाज संस्कृति क्यों नहीं पनपा सका..कि कुछ साल पहले तक बारह सरकारी छुट्टियों वाला देश आज पचास अवकाश भी कम मान हर साल किसी नामुराद नेता या नामुराद धार्मिक कारणों से छुट्टियों में इज़ाफ़ा करता जा रहा है..
2/1/19