चुनाव में हारे नेता का मतदाताओं को कोसना
लोकतंत्र के लुच्चो, दगाबाज टुच्चो
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और हरिजन
जब हम हार गए तो काहे का इलेक्शन
जिस देश की जनता हो तुम जैसी
वहां काहे की डेमोक्रेसी
भितरघातियो, जयचंद के नातियों
तुमने अंगूरी पीकर अंगूठा दिखाया है
आज मुझको नहीं
बापू को हराया है
अंधेरे की अवैध संतानो
हमने तुम्हें नई रोशनी में खड़ा किया
और हमीं को अंधेरे में चूना लगा दिया
दुश्मन को वोट और हमको टाटा
एक गाल पे चुंबन और एक गाल पे चांटा
ग़ुलाम से मतदाता बने तो बुद्धि चकराई
हमारे चेहरे पर सूखा
और तुम्हारे चेहरे पर मलाई
पशु मेले के पोस्टरों
कायरता के कुकुरमुत्तों
तुमसे तो बेहतरीन तुम्हारा बाप था
पिछला चुनाव उसी ने हमको जिताया
और पेटी लेकर ऐसा भागा कि
आज तक घर न आया
गीदड़ के आखिरी अवतारो
ये राजनीति तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती है
सत्ता किसी की हो
जनता हमेशा सताई जाती है
कामदेव की कार्बन कॉपियो
क्या तुम और क्या तुम्हारी औकात
जिस दिन थी तुम्हारी सुहागरात
अौर अंधेरे में दिखती नहीं थी तुम्हारी लुगाई
तब बिजली की बत्ती किसने पहुंचाई
12/17/18