मंगलवार, 24 मार्च 2020

मजबूत राज्य सरकार का होना जरूरी..
चंडीगढ़ जनसत्ता में रहते का एक किस्सा.. करवाचौथ का दिन.. ऑफिस में स्कूटर स्टार्ट ही किया था कि एक एक्सप्रेस वाला पीछे पड़ गया कि उसे प्रेस क्लब उतार दूँ.. जबकि आतंकवाद के चलते two व्हीलर पर दो सवारी पर कड़ी रोक थी..लेकिन अपन ने दुस्साहस दिखाया और बैठा लिया..रात 8 बजे उसे प्रेस क्लब पर उतार अपना स्कूटर जैसे ही 7 सेक्टर की तरफ मोड़ा कि ताक में लगी मोबाइल पुलिस ने घर दबोचा..
चार साल से सीना तान सारे नियमों का उल्लंघन करतेआ रहे राजीव मित्तल के होश फाख्ता.. पुलिस अफसर ने केवल एक बात कही कि अब चंडीगढ़ पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हाथ में है केंद्र के हाथ में नहीं..अगर इस बात का आगे से ध्यान नहीं रखेंगे तो आप गोली खा जायेंगे..उसने बड़ी मुश्किल से अपने को तब छोड़ा, जब ऊपर से आदेश आ पड़ा..
और 13 साल पुराने भीषण आतंकवाद की कमर बेअंत सिंह ने एक साल के अंदर तोड़ दी..उस मजबूत वाले इरादे वाले व्यक्ति ने कोई कमजोरी न दिखाते हुए, कोई राजनीति न करते हुए एक आदमी को कमान सौंपी और कहा मुझे बस्स रिज़ल्ट दो..केपीएस गिल ने वो कर दिखाया जो रिबेरो नहीं कर सके.. बेअंत सिंह ने वो कर दिखाया, जो केंद्र में बैठी इंदिरा गांधी नहीं कर सकीं, जो राजीव गांधी नहीं कर सके, जो वीपी सिंह नहीं कर सके..
और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि राज्य का मुख्यमंत्री मजबूत था और उसके इरादों पर केंद्र ने राजनीति की चादर नहीं उढ़ाई थी..
सत्तर साल बरस से जो खेल उत्तर पूर्व के राज्यों में खिल रहा है वही खेल कई सालों से कश्मीर में खेला जा रहा है.. और मोदी की राष्ट्रवादी सरकार की आत्ममुग्धदा ने तो हद ही कर रखी है..
सीमान्त राज्यों में राजनीति से बाज आने वाला मजबूत मुख्यमंत्री ही वहां की कैसी भी समस्या का हल है.. और हमारे देश में केंद्र सरकार वही गलती दोहराती आ रही है जो मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने की थी दक्खन में सेनाएं भेज भेज के..नतीजा क्या हुआ विध्यांचल के उस पार का सारा इलाका उसके देखते देखते दिल्ली के हाथ से निकल गया...

सेना या अर्द्ध सैन्य सुरक्षाबलों का काम दुश्मनों से लड़ना है अपनी जनता के साथ कव्वाली गाना नहीं..
2/15/19