शनिवार, 28 मार्च 2020

याद आयी आधी रात को..

--हेलो हेलो हेलो नागपुर..
--हेलो क्या हुआ.. 
--बड़ी गड़बड़ी हो गयी भैया जी.. 
--क्या हुआ क्यों नींद खराब कर रहे हो? 

--भैया जी नाराज न होइये.. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं..
--हाँ, हैं तो !!
--भैया जी..विकास का तो हमें याद ही न रहा.. अब क्या करें? समय बहुत कम है..
--अच्छा जरा अपने दिमाग की बत्ती जलाओ.. तब तक हम बाहर चांद-तारे देख कर आते हैं.. शायद याद आ जाए बचपन में सुनी कोई कहानी.. एक काम और करो, ट्रम्प को फोन लगाओ, उनसे बात करके देखो..

नहीं समझ में आ रहा कुछ, अच्छा, अपने भाषणों की फाइल निकाल कर पलटो, देखो, शायद.. कुछ मसाला मिल जाए...

अरे भैया जी, रात के दो बज गये, अभी भी कुछ सूझा ही नहीं रहा.. कांसे के बरतन में रखा पानी पीकर देखूं क्या, शायद तबियत हल्की हो जाए..

तभी बगल वाले घर से आवाज आयी-हम मिट्टी को सोना कर देंगे.. 
यह सुन उनकी सांस ही फूल गयी.. अब क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा, अगला तो मिट्टी को सोना बनाये दे रहा है और यहां मिट्टी का मामला मिट्टी से आगे बढ़ ही नहीं रहा..

मुन्ना, यह तो बताओ कि तुमको विकास का करना क्या है? अरे, बोलना है उस पर, मामला नोट बंदी  और जीएसटी से आगे बढ़ाना है..ससुरी दोनों गोटियां शुरू से ही फिट न बैठ रहीं...

अब तक पप्पू का तमगा लगाये घूम रहे उस नदीदे की काट भी तो तैयार करनी है न.. अच्छा जेटली..तुम्हीं बताओ विकास क्या होता है? 

जी, मैने सर्वांगीण विकास तो सुना है पर यह खाली पीली का विकास तो मेरे पल्ले भी नहीं पड़ रहा..

अच्छा, अब थोड़ी देर चुप रहो, सोचता हूं.. अरे हां, याद आया वो गुजरात के विकास की 15 साल पुरानी फ़ाइल निकालो..उसमें विकास ही विकास भरा हुआ है..वही पकड़ा देंगे मीडिया वालों को..एक महीना ससुरे विकास विकास करते रहेंगे.. 

सोच रहा हूँ एक हफ्ते के गुजरात हो आऊं..दिल्ली में बैठ कर तो विकास मिलने से रह..रायपुर, भोपाल या जयपुर में तो विकास अनाथालय में भी नहीं होगा..गुजरात से लौट कर बताता हूँ विकास क्या होता है.. 

और जेटली..तुम एक चक्कर ट्रम्पू के यहां लगा आओ..क्योंकि मंदिर का धंधा भी मंदा पड़ा है..जरा पता करो आज अखबारों की हेडलाइन क्या है शायद कोई विकास का क्लू दे दे.. 

अरे अरे सुनो भाई मिल गया विकास..हां, देखो न बेवजह परेशान हो रहे थे इतनी देर से..नौजवानों के चेहरे पर लाली लाने का नाम ही विकास है..लेकिन नहीं यार..नौजवान शब्द का फायदा तो वो पप्पू उठा लेगा.. 

अच्छा छोड़ो-मनोज कुमार की रोटी,कपड़ाऔर मकान का कैसेट तो घर में रखा ही होगा, जरा उसे लगवाओ शाह से, उसे देख कर कुछ आइडिया मिले! 

तभी काक भुशुण्डि ने अपनी मुंडी हिलायी और गरुड़ से बोले-अरे कोई तो इस नासमझ को बताये कि आरबीआई से बेवजह छेड़खानी न करे..फालतू की जुमलेबाजी न करे..स्कूल पर छत, छात्रों के लघु और दीर्घशंका करने की कोई जगह, नदी में नहीं बल्कि नदी पर पुल, खाई में लुढ़के बगैर दौड़ते ट्रक , जुआरियों और बटमारों की पनाहगार बनीं मिलों की चिमनियों से उठता धुआं और बाहर कई सारी चाय की गुमटियां, बाढ़ के साथ बह जाने वाले नहीं बल्कि उसको रोकने के लिये ताकतवर बांध और अपराधियों के साथ मॅार्निंगवॉक करती नहीं उनके पीछे दौड़ती पुलिस ही विकास की मोटा-मोटी रूपरेखा है.. 

तभी नागपुर से फुसफुसाहट सुनायी दी-सुनो, मुनवा के टिकट का क्या हुआ? बड़कऊ भी बहुत पीछे पड़े हैं.. छुटकन की बहुरिया तो खाना-पानी छोड़ स्यापा किये पड़ी है.. 

यह सुन गरुड ने काक जी की तरफ देख जोर से किलकारी मारी...

11/12/18