एक बार फिर------
कुछ चुनाव चुनाव हो जाये..
बंदरों की सभा में नेताजी का भाषण चालू था-मैं आपकी आवाज को राष्ट्र की आवाज बनाऊंगा। बाग-बगीचे उजाड़ने को कानूनी जामा पहनाऊंगा। आप हमारे हनुमान हैं, सुग्रीव हैं, अंगद हैं.. आप को किसी के घर में घुस कर कुछ भी करने की कोई रोक-टोक नहीं होगी..
हनुमान का नाम सुनते ही कैमरा थामे असुर सहोदरों इल्वल और पावति को चक्कर आने लगा.. इधर, बंदरों में भी हलचल मच गयी.. एक ने तो चुनाव सभा कवर करने आई केबल बाला का कुर्ता ही पकड़ लिया..किसी तरह वे तीनों वहां से भागे और पुष्पक को दौड़ा कर स्टार्ट किया और उड़ लिये..अब उन्हें मतदाताओं की तलाश थी..
करीब एक घंटे की उड़ान के बाद उन्हें ढोल-ताशों की आवाज सुनायी दी.. इल्वल ने पुष्पक उधर ही मोड़ लिया.. नीचे देखा तो कई लोग एक बरगद के चारों ओर नाच-गया रहे थे.. एक तालाब के किनारे पुष्पक उतारा गया.. जैसे ही तीनों ने ज़मीन पे कदम रखा, उन्हें सबने घेर लिया..
तुरंत केबल बाला ने कहा-हम आपसे यह जानने आए हैं कि आप अपना कीमती वोट पार्टी के आधार पर देते हैं या काम देख कर..
एक बुजुर्ग ने हाथ से इशारा किया कि पीछे आओ.. वह उन तीनों को बरगद के पेड़ के पास ले गया और किसी उल्लू की प्रतिमा दिखा कर कहा कि यह हमारे कुलदेवता हैं.. हम इन्हीं के सामने अपनी बस्ती के वोट रख देते हैं और रात भर नाचते गाते हैं..सुबह सामने वाली कोठी से कोई आ कर वोटों पर ठप्पा मार देता है..हमारे कुल देवता के नाखूनों का ताबीज पहनने वाले गनपत राय का चुनाव निशान भी ताबीज ही है..
गनपत राय अब तक तीन बार पार्षद, पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं.. दो बार से हम उसके बेटे तड़पत राय को वोट डाल रहे हैं..
-गनपत राय ने आपकी भलाई के लिये क्या किया है?
भीड़ में सब एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे..
एक ने पूछ ही लिया-वोट का भलाई से क्या संबंध? उन पर हमारे कुलदेवता की कृपा है..
केबल बाला का अगला सवाल..बिजली-पानी का क्या हाल है?
देखो बिटिया, हमें बिजली की जरूरत ही नहीं..हम पेड़ों के नीचे रहते हैं, जुगनुओं से काम चल जाता है.. सांसद जी के महल के बाहर गेट पर लगे बल्ब की रोशनी तो फ्री में मिलती ही है..
और पानी ?
बिटिया..उनके घोड़े, गाय-बैल और हम ढाई योजन दूर के तालाब पर जाते हैं.. वहीं हम दिशा मैदान से निपट कर नहा धो लेते हैं और पीने का पानी भर लाते हैं..
आप लोगों की बेहतरी के लिये कोई योजना वगैरह?
हां, कभी-कभी मशीन वाली फिल्म दिखा देते हैं, जिसमें अंसल के बनाये मकानों की कतार, बंसल की मिठाई, अरोड़ा की कुल्फी, उपाध्याय के चकाचक कमरों वाले स्कूल और चमचमाती सड़कों के दर्शन हो जाते हैं.. उस दिन सांसद जी के नौकर हमसे चिरौंजी जरूर लेते हैं दो-चार टोकरे।
11/21/18