गुरुवार, 26 मार्च 2020

आज शहर भर की बरबादी है....


शादियों और फिर उसके बच्चे पैदा करने का सीज़न सिर पे आ गया है..तो उस पर कुछ हुई जाए.. …… 

आज मेरे यार की शादी है.…यह उस पैकेज का   नाम है जो राहगीरों को  डराता है , घर के किसी भी कोने में बसे वासी  को रुलाता है, सोते हुए लोगों की नींद हराम करता है और बीमारों को भगवान  शरण में जाने  मज़बूर करता है........और सांड़ को बिदकाता है..

इस पैकेज में 30 तोंद फुलाये पुरुष, जो बैंड बाजे पर प्रेत डाँस कर सकते हों.…उतनी ही महिलायें, जो त्रिजटा का सा मेकअप किये चुडेल नृत्य कर सकती हों.……  बच्चों की  तादाद पर कोई प्रतिबन्ध नहीं…… इस नाचते गाते जुलूस के नेपथ्य में घोड़ी पर सवार दूल्हा, जो दर्शक की भूमिका में हो, लड़के के blood रिलेटिव्स बीच में कभी भी आकर अपनी नृत्य  प्रदर्शन कर सकते हैं.…… 

अब आइये पैकेज के main बिंदु पर ध्यान दें, क्योंकि वह और उसका ऑर्केस्ट्रा  सांड जैसे जंतु को भी  किसी गली में घुसकर मुहं छुपाने को मज़बूर करते हैं..... उसको आप श्रीप्रकाश नेहवाल या  जो  मन  में आये नाम दे सकते हैं.…… आज मेरे यार की शादी है.…उसी के गले की  देन है........ उसको  आराम देने के लिए मिस शेफाली जरीवाला मौजूद है.…… और  उसको भी पल्लू संभालने का वक्त देने  लिए भोंपा बजाने वालों के पास takeelaa नाम की symphony है.......और  झेलने के लिए छोटा है तो आधा शहर.…और  बड़ा है तो गली---मोहल्ले .......

हमारे देश में जब जब  कोई ग्रह अनुकूल हो उठता है, जिसका पता ज्योतिष या पंडत देते हैं , लड़की की उम्र, लड़की के बाप की जेब और लड़के की जोर मारती तमन्ना और उसके बाप के ख़्वाबों में जब दहेज़ चुमौना करने लगे.…… समझ लीजिये शादी का मौसम आ गया.....

शादी के  मौसमों के मद्देनज़र अंग्रेजों ने  हमारे देश के हर शहर में सिविल लाइनों का आविष्कार किया था ताकि उसके अफसरान जब चाहे तब आ  पड़ने  वाली इस आपदा से खुद को और अपने परिवार को बचाये रख सकें …… अंग्रेज चले गए और अपनी ये सहूलियत आज़ाद भारत के जनप्रतिनिधि और जनसेवक को दे गए इसलिए वो बारात में नहीं, लड़की वालों के घर दावत जीमने को बुलाये जाते हैं........ ध्वनि प्रदूषण का उनका ज्ञान प्राइमरी शिक्षक  जितना भी नहीं .... 

पहले बारात के जनवासे पहुंचने पर शहनाई वादन की परंपरा थी, अब एक दूसरे को बजाने की परंपरा है..
12/5/18