मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

पाटलिपुत्र में शिक्षक-शिक्षक

राजीव मित्तल
फागुन में विचार बना और जेठ के महीने में 2.35 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने का फरमान जारी हुआ। कालांतर में फरमान भरमाने लगा, मसलन --राज्य में कहीं से भी टिकट लगा आवेदन दे दो, जैसे हो वैसे ही आवेदन दे दो, जितने चाहे उतने आवेदन दे दो लेकिन साथ में सादा लिफाफा जरूर हो और उस पर भी टिकट लगा हो। फरमान जारी होते ही पत्ता-पत्ता डोल उठा। सबसे पहले तो कहर टूटा डाकघरों पर। पांच रुपये का टिकट हर दो दिन बाद छापना पड़ रहा था। करीब एक अरब के टिकट बिके।
फिर कहा कि टिकट लगाने की जरूरत नहीं। लेकिन तब तक आवेदक छह सौ-छह सौ किलोमीटर की दूरी तय कर टिकट की जमाखोरी कर चुका था। फिर आया कि पहले काबिल एप्लाई करें, नाकाबिल बाद में भरती होंगे। फिर यह कि एक पद पर एक ही फार्म भरो। तब तक हजारों आवेदक एक साथ कई पदों पर राज्य के सभी जिलों में जा-जा कर फार्म भर चुके थे। फिर फरमान आया कि आवासीय प्रमाणपμा दो। अब सबसीडियरी विषयों के अंक जोड़ने का लोचा फंस गया है।आश्विन कार्तिक में एक बानगी भ्रमों की और सरकारी शिक्षा जगत के आला नुमाइंदे द्वारा उन भ्रमों को दूर करने की---नियमावली रोज-रोज क्यों बदल रही है? देखिये, यह एक महायज्ञ है, जिसकी पविμाता और शुचिता की हमें रक्षा करनी है। इसलिये हमारे ध्यान में जब-जब अच्छी बातें आती हैं हम नियमावली में डाल देते हैं। तो फिर इतना इतना भ्रम क्यों फैला हुआ है? यह मीडिया की देन है। कितने शिक्षकों की बहाली होगी? दो लाख से ऊपर की। वैसे भी हम बिहार को शिक्षा के क्षेμा में अग्रणी बनाना चाहते हैं, इसलिये हम संख्या पर ध्यान नहीं रहे हैं। दो सौ बच्चों पर माμा एक शिक्षक वाला मजाक हमारे जेहन में है। हमारी सरकार ने हम दो - हमारे दो के नियम को शिक्षा जगत में उतारने का फैसला किया है, भर्तियां भी इसी के अनुरूप होंगी। शिक्षकों को पेंशन व बीमा मिलेगा? ये सारी नियुक्तियां अगले चुनाव तक के लिये हंै, तो कैसी पेंशन और कैसा बीमा। पैसा केन्द्र की किसी योजना का है इस काम के लिये, अगर योजना बंद हो गयी तो?
योजना अगले चुनाव तक बंद नहीं होगी, यह मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं। नियुक्ति प्रक्रिया में इतनी हड़बोंग क्यों? एक्चुअली, नियुक्ति प्रक्रिया की यह प्रणाली मंμाी जी नॉर्वे से लाए थे। नियुक्ति का फरमान जारी करने के बाद पता चला कि वहां तो बेरोजगारी है ही नहीं और हमें मालूम नहीं था कि बिहार में इस कदर बेरोजगारी है। नियुक्ति पμा कब तक बंटेंगे? इस काम के लिये हमने एक समिति गठित की है, जो जल्द ही जापान जाएगी और इस बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिये गहन अध्ययन करेगी। प्लीज अब कोई सवाल नहीं, दीवाली तो मनाने दीजिये।

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