मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

बिहार में पंचायत चुनाव

राजीव मित्तल
बिहार में इन दिनों पंचायत चुनाव का खेला चल रहा है। इस चुनाव की खास बात यह है कि अब तक 28 बार हर दिशा से एक ही आवाज उठी है कि बूथ पर गड़बड़ी करने वाले को गोली मार दी जाएगी। पहले चरण से यही हो रहा है और खत्म हो जाने तक यही होते रहना तयशुदा है । हर मतदान के बाद समूह गान होता है-पत्ता भी नहीं खड़का या पत्ता भी नहीं डोला। पहली बोली निकालता है सरकार से जुड़ा हर तबके का योद्धा-मसलन मुख्यमंμाी, मंμाी, संतरी, मुख्य सचिव से लेकर बीडीओ और डीजी, आईजी, डीआईजी, एसपी, थानेदार और दरोगा। वोटिंग के बाद पत्ता न डोलने या खड़कने का गान होता है मीडिया में हालांकि इसमें भी साभार सरकार लगाने में कोई हर्ज नहीं।
चुनाव आयोग वाले राव साहब (अब रिटायर्ड) ने राज्य में नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में जो कमाल किया था, उस उपलब्धि को बौना कर के रख दिया है बिहार पुलिस के लाठीधारियों ने। खाइयां खोद कर दुश्मन के टैंकों का इन्तजार करती बिहार पुलिस की इन्फेन्ट्री यानी सैप को अब तक एक ही गोली दागने का मौका मिला और वह भी निशाना नहीं चूकी। बोरियत मिटाने के लिये उसे बीच-बीच में बिहार पुलिस के जवानों की लाठियों से ही काम चलाना पड़ रहा है। पर, सवाल यह है कि इस बार जब राज्य सरकार ने न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी का इंतजाम पहले ही कर दिया है तो यह हुंकार और संतोष का भाव क्यों। कहीं यह यज्ञ में हर मंμा के बाद स्वाहा कहने की परम्परा का पालन तो नहीं? छह पदों के लिये हो रहे इस पंचायत चुनाव में जितने दबंग और बाहुबली हैं, सब बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बने घूम रहे हैं। वजह है सीटों की तू तू न रहा मैं मैं न रहा वाली राज्य सरकार की झटकेदार कारस्तानी। यह कमाल हुआ सीधे जाति के छत्ते में हाथ डालने से। मसलन जहां भूमिहार-राजपूत गठजोड़ हो, उस सीट को आरक्षित कर दो। इसके चलते सारे समीकरण गड़बड़ा गये।
और सुनिये-इस चुनाव ने कई ऐसे मंजर पैदा कर दिये हैं, जो अगले पंचायत चुनाव को और लुभावना बनाने को मजबूर करेंगे। एक ही उदाहरण काफी रहेगा। एक मोहतरमा की उम्मीदवारी अजब-गजब बानगी पेश कर रही हैं। पतिदेव ने साफ ऐलान कर दिया है कि बीबी घर से बाहर निकल कर चुनाव प्रचार नहीं करेगी। तो भई वोट कहां से मिलेंगे! मेरी साली घर-घर जाएगी। पोस्टर के लिये तो अपनी उनका फोटो दे दो। अमां बौरा गये हो, बेगम की फोटो छापोगे! दुनिया को दिखाओगे! तो कैसे चलेगा? मेरी साली का फोटो लेकर पोस्टर बना दो। और बेगम के जीतने के बाद? मैं हूं ना! गांधी जी के सपने को पूरा करने वाले इस पंचायत चुनाव में ऐसी उम्मीदवारी की सैंकड़ों मिसाल हैं। राम भली करे।

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