राजीव मित्तल
किसी भी जिले में करोड़ों की इस सालाना योजना के तहत बकौल सरकारी पोथी, गांव के गरीबों को छत मुहैया कराने के लिये 25-25 हजार थमाने का प्रावधान है। जो मैच्योर होते-होते मेगा क्विज में तब्दील हो जाती है। मसलन-गरीब कौन? जिसे दाता छाती से लगाये। 25 हजार किसे? जिसे छाते और छत के फर्क की तमीज नहीं। इंदिरा आवास क्या? जो है, पर नहीं है आदि-आदि। किसी एक की अगुआई में ग्रामीण जनता के दुखहर्ता गरीबों में गरीब की तलाश कर कुछ नाम तय करते हंै। कोई एक उन नामों की सूची प्रखंड के अफसर को देता है। वह दौड़ लगाता हुआ अपने साहब के यहां जाता है। साहब उन नामों को गिन 25000 से गुणा करते है और उतनी राशि बैंक में जमा करा दी जाती है। फिर सब जन साथ बैठते हैं। कुछ खुसर-फुसर के बाद दांत चमकाते हैं। इस बैठक में सबसे बड़े साहब की उपस्थिति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दर्ज रहती है।
उसके बाद किसी अदृष्य 10 बाई 10 के जमीन के टुकड़े पर इंदिरा आवास की नींव किस्तों में पड़ती है। पहली किस्त 15 हजार की, सौदा नौ-छह के अनुपात में। दूसरी किस्त छह हजार की, इस बार आधा-आधा। तीसरी किस्त चार हजार की-अब क्या बच्चे की जान लेगा बे! 25 हजार का इंदिरा आवास 12 हजार में। बचे 13 हजार चींटियों को आटा डालने के लिये। लेकिन छत मुमताज महल की कब्र को चाहिये, पेट के कुएं को नहीं। सो, इंदिरा आवास-1 का खाका कागजों में शोभायमान। बाकी 2-3-4-5.... का भी कमोबेश यही हाल। केंद्र सरकार की इस बहु प्रचारित योजना से खेलने के कुछ और तरीके भी हैं। ससुरालियों को खुश करने का इंदिरा आवास से बेहतर तोहफा और क्या हो सकता है! साली, सलहज, साला, साढ़ू। सास और चचिया ससुर को कतई न भूलें। पहले इन सबको धागा खींच कर गरीबी रेखा के नीचे लाया जाता है, फिर सबके पक्के मकानों के बाहर सावन के गीत गाने को सीमेंट का चबूतरा या उस अटरिया का निर्माण, जिस पर कागा बोलता है। उत्तर बिहार नेपाली पानी की मेहरबानी से अक्सर सुखाड़ में भी बाढ़ग्रस्त रहता है। ऐसे मौकों पर इंदिरा आवास योजना गुलाब जल छिड़क कर और विशिष्ट बना दी जाती है।
इसमें गरीब का झोंपड़ा डालने को किसी नदी के किनारे की जमीन तलाश की जाती है, जो पहली बौछार में ही नदी को समर्पित। उसके बाद उसे बाढ़ पीड़ित बना कर भी बड़ा हाथ मारा जा सकता है। या अपने भाई, ताऊ, बुआ या चाची को ही बाढ़ पीड़ित दिखा कर एक कमरे पर दूसरा कमरा बनवा लिया जाता है। ऐसे कई आवास उनके नाम दर्ज हैं, जिनके यहां ट्रैक्टर, भैंस या चार पाए वाले अन्य पशु बंधे हैं। और इंदिरा आवास योजना का नायक होरी बन बाढ़ के समय किसी पेड़ की डाल पर बैठा है-नीचे प्रेत नाच रहे हैं और गा रहे हैं-नजर लागी राजा तोरे बंगले पर।
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